इन दिनों आसमान में घटती घटनाओं ने काफी लोगों मे दिलचस्पा बढ़ा दी है। यही कराण है कि, उल्का पिंड को लेकर जब -जब वैज्ञानिक भविष्यवाणी करते हैं तब-तब लोग इसके बारे में जानने के के लिए पुराने भविष्य वक्ताओंकी भविष्यवाणी और पुरानी धआर्मिक किताबें खंगालने लगते हैं। लेकिव क्या आपको पता हैं, दुनिया में एक हिस्सा ऐसा भी मौजूद है जहां आज भी आसमान से गिरे उल्का पिंड की तबाही साफ देखी जा सकती है।
चलिए आपको दुनिया के इसी हिस्से की तरफ ले चलते हैं।
रूस में तुन्गुस्का नदी के किनारे घने वन क्षेत्र में 30 जून 1908 की सुबह अंतरिक्ष से जलता हुआ उल्कापिंड गिरा था। तब से अब तक वैज्ञानिक उसका रहस्य पता नहीं कर पाए हैं। यह पता नहीं लग पाया है कि वह घटना कैसे हुई थी। आज भी वैज्ञानिक उस घटना को अध्ययन में शामिल करते हैं। 30 जून का वह दिन 200 देशों में ‘एस्टेरॉइड डे’ के तौर पर मनाया जाता है।
उस उल्कापिंड का आकार इतना बड़ा था कि उसके वहां गिरते ही 1200 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित हुआ था। जिस स्थान पर वह गिरा था, वहां पहले घने वृक्ष थे। परन्तु उस घटना के बाद से उस जगह पर आज तक एक भी वृक्ष नहीं उगा है। तब आग से सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में वृक्ष नष्ट हो गए थे।
वैज्ञानिकों का अध्ययन बताता है कि जलते हुए उल्कापिंड के कारण उस जगह पर अंदर तक बहुत नुकसान पहुंचा था, जिसके कारण वहां की भूमि पर आज भी उसका निशान है।
उस दौर में जिन लोगों ने ये आग से भभकता हुआ नजारा देखा था उनकी बातों को आज भी लोग याद करते हुए बताते हैं कि, जिस समय ये उल्का पिंड गिरा था उस समय ऐसा लग रहा था जैसे मानों आसमान से आग के गोले बिखर रहे हों।
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उस मंजर को आज तक कोई नहीं भूला है और न ही वो जमीन जमीन जहां पर उल्का पिंड ने तबाही मचाई थी। वहां आज तक कोई पेड़ नहीं उगा।