कपड़े का व्यापार छोड़ बाबा बने गोल्डन बाबा की आधी जिंदगी कई किलो सोना पहने और भगवान की भक्ति में बीती। लेकिन लंबी बीमारी के बाद गोल्डन बाबा का आज निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में सांस ली।अपने पूरे शरीर पर सोने के जेवर पहनकर रहने वाले गोल्डन बाबा लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करते थे।
दिल्ली के हिस्ट्रीशीटर रहे बिट्टू बिजली वाला ने जब संन्यास लिया तो अपनी नई पहचान गोल्डन बाबा के तौर पर बनाई। हरिद्वार से हर वर्ष कांवड़ यात्रा के दौरान जल लेकर दिल्ली रवाना होने पर गोल्डन बाबा का जत्था आकर्षण का केंद्र बना था। बाबा का नाम हरिद्वार पुलिस की डायरी में भी कई बार दर्ज हुआ। कभी बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो कभी कोई दूसरे प्रकरण में नाम जुड़ता रहा।
जूना अखाड़े से भी उनकी तनातनी हुई। संतो ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप मढ़े तो बाबा की अखाड़े से विदाई कर दी गई। बिल्वकेश्वर कॉलोनी में बाबा की कोठी को लेकर भी विवाद चलता रहा। दिल्ली के एक सिख परिवार ने बाबा पर बैनामा करने के बाद भी कोठी पर काबिज होने का आरोप जड़ते हुए पुलिस से शिकायत की थी। लेकिन कोठी पर बाबा का ही कब्जा बना रहा।
गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर मक्कड़ था। उन्हें सोना पहनने का बहुत शौक था, इसलिए वह अपने शरीर पर काफी मात्रा में सोना पहनते थे। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि सुधीर, सोने को अपना देवता मानते थे इसलिए वह हमेशा सोना पहने रहते थे। इसी वजह से लोग उन्हें गोल्डन बाबा कहने लगे।
सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा को 1972 से ही सोना पहनना पसंद था। बताया जाता है कि वह सोने को अपना ईष्ट देवता मानते थे। बाबा हमेशा कई किलो सोना पहने रहते हैं। बाबा की दसों उंगलियों में सोने की अंगूठी, बाजुबंद, सोना का लॉकेट है। बाबा की सुरक्षा में हमेशा 25-30 गार्ड तैनात रहते थे।
पूर्वी दिल्ली के रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ के गोल्डन बाबा बनने तक का सफर रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है। उनका लगाव पूर्वी दिल्ली में गीता कॉलोनी स्थित श्मशान घाट से था और इसका जिक्र भी उन्होंने कई बार किया था। यही वजह है कि उनका अंतिम संस्कार गीता कॉलोनी में किया गया। कोरोना की वजह से बहुत कम लोग ही इसमें शामिल हुए।
गोल्डन बाबा हर साल हरिद्वार से कांवड़ लाते थे। इस दौरान जब वह कांवड लेकर दिल्ली वापस लौटते थे तो वह भोले बाबा की मूर्ति के पास बने शिवाल्य पर जल चढ़ाते थे। गोल्डन बाबा फिलहाल साहिबाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे थे।
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गोल्डन बाबा के मरने से उनके फैन्स में काफी दुख है। क्योंकि आज तक के इतिहास में ऐसा कोई बाबा देखेने को नहीं मिला जिसे सोने से इतना लगाव हो। बाबा के जाने के बाद उनके सोने का क्या होगा। उनके फैन्स ये सोच रहे हैं। क्योंकि जिस तरह से वो खिद को सोने से लपेटकर रखते थे। अतानके से बाबा के चले जाने से उनके इस अजीब शौक को लेकर काफी लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं।