लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच झड़प में भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत सरकार ने कहा कि देश की कोई भी टेलीकॉम कंपनी किसी
नई दिल्ली। लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच झड़प में भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत सरकार ने कहा कि देश की कोई भी टेलीकॉम कंपनी किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल न करे। वहीं भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के टेंडर को कैंसिल कर दिया गया है। साथ ही, प्राइवेट मोबाइल फोन ऑपरेटर्स के लिए भी Huawei और ZTE जैसे चीनी ब्रैंड्स से दूर रहने का नियम बनाया जा सकता है।
चीन को करीब 3 हजार करोड़ का नुकसान
बता दें कि बीएसएनएल और एमटीएनएल से कहा कि उनको अपने टेंडर में बदलाव करने की जरूरत है। इसका चीनी कंपनियों पर काफी गहरा असर पड़ेगा। देश के 5G डिप्लॉयमेंट्स से इन दोनों कंपनियों को बंद कर दिया गया है। भारतीय टेलिकॉम इक्विपमेंट का एनुअल मार्किट 12,000 करोड़ रुपये है। चीन का इसमें एक चौथाई कब्जा है। बाकी में स्वीडन की एरिक्सन, फिनलैंड की नोकिया और साउथ कोरिया की सैमसंग शामिल है। भारतीय एयरटेल और वोडाफोन, दोनों ही Huawei और ZTE के साथ काम करते हैं।
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भारतीय कंपनियों को पहुंच रही थी चोट
बता दें कि एक अधिकारी का कहना है कि हमे टेलिकॉम मैनुफैक्चरर्स काफी शिकायते सुनने को मिल रही थी कि चीन भारतीय टेलिकॉम इक्विपमेंट्स का इम्पोर्ट नहीं होने दे रहा है, बल्कि अपने टेलिकॉम गियर को सब्सिडी देता है जिससे भारतीय बाजार में उनके दाम बेहद कम हो जाती है। इसका नतीजा ये होता है कि स्वदेशी टेलिकॉम इक्विपमेंट्स मैनुफैक्चरर्स आगे नहीं बढ़ पाते।” उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए फैसले ले रहा है। जल्दी ही, प्राइवेट प्लेयर्स से भी बात कर चीन को दूर रखने की रणनीति बनाई जाएगी।कई देशों में है चीनी कंपनीज पर बैन
अमेरिका ने सुरक्षा कारण गिनाते हुए भारत से Huawei पर बैन लगाने को कहा था। दूसरी तरफ, चीन ने धमकी दी थी कि अगर 5G से Huawei को हटाया गया तो भारत आर्थिक नतीजे भुगतने को तैयार रहे। अमेरिका के अलावा न्यूजीलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान जैसे देशों ने 5G डिप्लॉयमेंट से Huawei को बाहर रखा है। इसके उलट फ्रांस, रूस, नीदरलैंड्स, साउथ कोरिया जैसे देशों ने चीनी कंपनी को इजाजत दी है।
दिल्ली-मेरठ रोड का ठेका भी छिना?
दिल्ली और मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) बन रहा है। इसके डिजाइन और एक अंडरग्राउंड हिस्से के कंस्ट्रक्शन का टेंडर एक चीनी कंपनी को मिलने की रिपोर्ट्स थीं। मगर बुधवार को केंद्र सरकार ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट देने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। विपक्षी दलों ने चीनी कंपनी को ठेका देने का विरोध किया है। ऐसे में यह कॉन्ट्रैक्ट भी चीनी कंपनी के हाथ से जाने की संभावना है।