भारत और चीन के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। लाख कोशिशों के बाद भी बातचीत से मामला सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है। जिसको देखते हुए भारत ने रूस से बड़ी डील की है।भारत वायुसेना के लिए 33 लड़ाकू विमानों के साथ सेना और नौसेना के लिए लंबी दूरी की क्रूज और अस्त्र मिसाइलें खरीदने का निर्णय लिया गया है। लड़ाकू जेट विमानों में मिग-29 और सुखोई-30 के बेड़े में इजाफा किया जाएगा। भारतीय सेनाओं के लिए राफेल रक्षा सौदे के बाद 38,900 करोड रुपये की यह सबसे बड़ी रक्षा खरीद है।
भारतीय वायुसेना के बेड़े की संख्या बढ़ाते हुए इसकी ताकत में इजाफा करने के लिए 12 सुखोई लड़ाकू फाइटर जेट हिन्दुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड से खरीदा जाएगा। रूस के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर समझौते के तहत एचएएल देश में ही सुखोई-30 का निर्माण करता है और मौजूदा समय में यह भारतीय वायुसेना का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान है। 12 सुखोई विमानों की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपये खर्च होंगे। रॉफेल ही सुखोई से अगले जेनरेशन का फाइटर जेट होगा। जबकि 21 मिग-29 लड़ाकू विमान रुस से तत्काल खरीदा जाएगा।
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बहुत जल्द ये लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे। भारत चीन से निबटने के लिए हर मोर्चे पर तैयार खड़ा है। हालाकि भारत की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि, बात करके विवाद ठीक हो जाये। लेकिन की मनमानी से विवाद और भी ज्यादा गहराता जा रहा है। इसलिए भारत ने बड़ा फैसला किया है।