धर्म

चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन-मां चंद्रघंटा की कहानी

ननन्वि 1 चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन-मां चंद्रघंटा की कहानी

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो चुकी हैं और आज नवरात्र का तीसरा दिन है आज मां दुर्गा के तीसरे रुप की पूजा होती हैं। मां दुर्गा का सीतरा रुपमां चंद्रघंटा के रुप में हैं। मां चंद्रघंटा देवी के इस तीसरी स्वरूप का रूप हैं जो बेहद खूबसूरत है। माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचन्द्र है, जिस कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है।

चन्द्रघंटा का रूप बेहद ही शांतिदायक और कल्याणकारी का है।  स्वर्ण के समान उज्जवल है माता का शरीर और मां का वाहन सिंह है और मां के दस हाथ हैं जो की विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहती हैं। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए दिखता है

ननन्वि चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन-मां चंद्रघंटा की कहानी

मां के घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस को भयभीत करता हैं।

आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति होती हैं प्राप्त

भगवती चंद्रघंटा की  अगर आप उपासना करते हैं तो आपको से आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त  होती है। पूर्ण विधि से मां की उपासना करने वाले भक्त को संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान प्राप्त होता है

माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्तों को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त मिलती है। माता अपने सच्चे भक्तों को इसलोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथो से साधकों को चिरायु, सुख सम्पदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती है।

तो आप भी मां के तीसरे रुप की पूजा करें और अपनी जीवन खुशहाल बनाएं। कल मां के चौथा रुप यानि कूष्मांडा की पूजा होती हैं कल आपको बताएंगे कि क्या मां कूष्मांडा की कहानी।

 

Related posts

30 नवंबर 2021 का राशिफल: जानें आज कैसा रहेगा आपका दिन

Rahul

मध्य प्रदेश के कई स्थानों पर दशहरे पर दशानन की होती है पूजा, प्रतिमा के सामने घूंघट में रहती है महिलाएं

Neetu Rajbhar

जानिए हिंदू धर्म के संस्कारों के पीछे क्या है वैज्ञानिक महत्व

Rahul srivastava