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ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद तीसरा विश्वयुद्ध शुरू होने की आशंका

ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद तीसरा विश्वयुद्ध शुरू होने की आशंका

नई दिल्ली। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद तीसरा विश्वयुद्ध शुरू होने तक की आशंका जताई जा रही है। काफिले के साथ बगदाद एयरपोर्ट की तरफ बढ़ रहे सुलेमानी पर अमेरिका ने बिल्कुल अचूक निशाना साधा। अमेरिका ने इस बड़े अभियान के लिए फिर से अपने MQ-9 रीपर ड्रोन का इस्तेमाल किया। यह बेहद उन्नत किस्म का टोही और लक्ष्यभेदी ड्रोन है जिसका इस्तेमाल अक्सर वैसे लक्ष्यों को मिटाने में किया जाता है जिस पर लंबे वक्त तक नजर रख पाना मुश्किल हो। बहरहाल, इस अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल सुलेमानी के साथ-साथ ईरान समर्थित पॉप्‍युलर मोबलाइजेशन फोर्स के डेप्‍युटी कमांडर अबू मेहदी अल मुहांदिस भी मारे गए हैं। आइए जानते हैं इस ड्रोन की खासियतें क्या हैं।

दरअसल, अमेरिका ने पहली बार ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के लिए ही ड्रोन का इस्तेमाल नहीं किया, उसने अपने दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए ऐसे कई ड्रोन हमले किए। बगदाद में जिस ड्रोन अटैक को अंजाम दिया गया, वह लक्ष्य की खुफिया जानकारी जुटाता है और फिर उसे खत्म करने के लिए हमले भी कर देता है। यानी, यह ड्रोन तलाश और विध्वंस का दोहरा काम करने में माहिर है। हथियारों से लैस, मध्यम ऊंचाई तक पहुंचाने वाला, एक साथ कई अभियानों को अंजाम देने और लंबी देर तक हवा में रहने में सक्षम ड्रोन है। अमेरिकी वायुसेना 2007 से इसका इस्तेमाल कर रही है।

अमेरिका ने MQ-9 रीपर ड्रोन को विदेशी सैन्य अभियानों की मदद के मकसद से विकसित किया। इसमें M अमेरिकी रक्षा विभाग के मल्टि-रोल डेजिग्नेशन का प्रतिनिधित्व करता है जबकि Q का मतलब दूर से संचालित एयरक्राफ्ट है। वहीं, 9 का मतलब है कि यह अपनी तरह के एयरक्राफ्ट का 9वीं सीरीज है। 2,222 किलो वजनी यह ड्रोन छोटी-छोटी गतिविधियों का भी पता लगा लेता है और बेहद कम समय में लक्ष्य को निशाना बना लेता है। इस ड्रोन में कई बेहद घातक हथियार लगे होते हैं। इनमें लेजर से निर्देशित होने वाले हवा से जमीन पर मार करने वाले चार AGM-114 हेलफायर मिसाइल भी शामिल हैं। ये मिसाइल बिल्कुल लक्ष्य पर निशाना साधते हैं जिससे कि आसपास कम-से-कम नुकसान हो। साथ ही, इसमें टार्गेटिंग सिस्टम लगा है जिसमें विजुअल सेंसर्स लगे हैं। इसमें 1,701 किलो वजन तक का बम गिराने की क्षमता है। MQ-9 रीपर चूंकि मानवरहित छोटा विमान है, इसलिए इसके अंदर कोई पायलट या क्रू नहीं होता है। इसे दूर से ही संचालित किया जाता है। हर MQ-9 रीपर ड्रोन के लिए एक पायलट और एक सेंसर ऑपरेटर सुनिश्चित होते हैं।

यह ड्रोन 230 मील (368 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है। MQ-9 रीपर अधिकतम 50 हजार फीट तक की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसमें एक बार में 2,200 लीटर फ्यूल भरा जा सकता है जिससे यह 1,150 मील यानी 1,851 किलो मीटर तक की दूरी तय कर सकता है।

सितंबर 2015 तक अमेरिकी एयरफोर्स के पास ऐसे 93 MQ-9 रीपर ड्रोन थे। इससे पहले अमेरिकी वायुसेना के बेड़े में MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन हुआ करता था जिसकी क्षमता MQ-9 रीपर से कम होती थी। इसके एक पंख से दूसरे पंख तक की लंबाई 66 फीट है। इसके आगे से पीछे तक की लंबाई 36 फीट है। वहीं, पिछले हिस्से की चौड़ाई 12.5 फीट है। MQ-9 रीपर ड्रोन को जनरल एटमिक्स एरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक ने बनाया है। इसकी एक यूनिट की कीमत साल 2006 में 6.42 लाख डॉलर (करीब 3.65 करोड़ रुपये) आंकी गई थी। चार एयरक्राफ्ट और सेंसर्स को मिलाकर एक यूनिट बनता है।

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