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भारत में एफडीआई प्रवाह में मजबूती, गत वर्ष की तुलना में छ: फीसद की बढ़ोतरी

fdi nirmala sitaraman भारत में एफडीआई प्रवाह में मजबूती, गत वर्ष की तुलना में छ: फीसद की बढ़ोतरी
  • संवाददाता, भारत खबर

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्रवाह वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों के होने के बावजूद मजबूत बना हुआ है। आज संसद में आम बजट 2019-20 प्रस्तुत करते हुए, उन्होंने कहा कि 2018-19 में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 64.375 बिलियन अमरीकी डालर की मजबूती पर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% की वृद्धि दर्शाता है। वित्त मंत्री ने भारत को एक अधिक आकर्षक एफडीआई गंतव्य बनाने के लिए लाभों को और संघटित करने के लिए निम्नलिखित कदमों का प्रस्ताव रखा:

• सरकार उड्डयन, मीडिया (एनीमेशन, एवीजीसी) और बीमा क्षेत्र में एफडीआई को और खोलने के सुझावों की अपने हितधारकों के परामर्श से जांच करेगी।
• बीमा मध्यवर्ती संस्थाओं के लिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी जाएगी।
• एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के लिए स्थानीय सोर्सिंग मानदंडों को सरल बनाया जाएगा।
अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट 2019 के अनुसार, 2018 में वैश्विक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 13% की गिरावट के साथ, पिछले वर्ष के 1.5 ट्रिलियन अमरीकी डालर की तुलना में घटकर 1.3 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया, जो वार्षिक रूप से लगातार तीसरी गिरावट रही।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यह सही समय है जब भारत न केवल वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एकीकृत हो जाए, बल्कि वैश्विक बचत को जुटाने के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणाली, जो ज्यादातर पेंशन, बीमा और संप्रभु धन कोष में संस्थागत होता है, का भी एक हिस्सा बन जाए। निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार एक स्थिरक (एंकर) के रूप में राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश फंड (एनआईएफ) का उपयोग करके एक वार्षिक वैश्विक निवेश बैठक का आयोजन करने पर विचार कर रही है, जिससे कि वैश्विक शीर्ष संस्थाओं- बड़े उद्योगपतियों/शीर्ष कंपनियों, उच्च पेंशन/बीमा/सॉवरेन वेल्थ फंड एवं शीर्ष डिजिटल प्रौद्योगिकी/उद्यम निधियों के सभी तीन समूहों को प्राप्त किया जा सके।

सीमा पार निवेश आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण निर्धारक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए निवेश योग्य स्टॉक की उपलब्धता है। यह मुद्दा स्टॉक लक्षित निवेशों से, निष्क्रिय निवेश की दिशा में क्रमिक बदलाव को देखते हुए अधिक महत्व रखता है, जिसके द्वारा फंड वैश्विक सूचकांकों को ट्रैक करते हैं, जिसकी संरचना उपलब्ध फ्लोटिंग स्टॉक पर निर्भर करती है। तदनुसार, वित्त मंत्री ने किसी कंपनी में एफपीआई निवेश की वैधानिक सीमा 24% से बढ़ाकर क्षेत्रवार विदेशी निवेश सीमा तक करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें संबंधित कंपनियों को इसे निम्न सीमा तक सीमित करने का विकल्प शामिल है। एफपीआई को आरईआईटी और आईएनवीआईटी द्वारा जारी सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों को सब्सक्राइब करने की अनुमति दी जाएगी।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में रेखांकित किया कि चूंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पूंजी का एक प्रधान स्रोत हैं, इसलिए उनके लिए एक समन्वित और बाधामुक्त निवेश अनुभव सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने एफपीआई के लिए मौजूदा अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) मानदंडों को तर्कसंगत और व्यवस्थित करने का प्रस्ताव दिया, जिससे कि बिना सीमा पार पूंजी प्रवाह की अखंडता से समझौता किए इसे और अधिक निवेशक अनुकूल बनाया जा सके।

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