केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 25 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार और किसानों के बीच में कई दौर की बैठके भी हो चुकी हैं. लेकिन कोई सहमति नहीं बनी. किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े हुए हैं. वहीं सरकार कुछ ठोस बदलाव कर चुकी है और बची हुई परेशानियों को भी ठीक करने की बात कह रही है, लेकिन किसान तीन कानूनों को निरस्त करवाना चाहती है.
सिंघु बॉर्डर पर सुबह 11 बजे से एक बजे के बीच आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले किसानों की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इसमें किसानों, परिजनों सहित तमाम वर्गों के लोग शामिल हुए.
इसी को लेकर किसान नई रणनीति बना रहे हैं. किसानों ने अब अगले एक सप्ताह तक अलग-अलग तरीके से केंद्र पर दबाव बनाने की कोशिश करना शुरू कर दिया है. अब किसान केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताएंगे.
11-11 किसान सोमवार से बुधवार तक अनशन करेंगे. भाजपा नेताओं को ज्ञापन सौंपकर कृषि कानूनों को वापस लेने, किसान दिवस पर दोपहर का भोजन न बनाने का निर्णय लिया है.
26-27 को हरियाणा के सभी टोल प्लाजा को फ्री किया जाएगा तो एक कॉरपोरेट घराने के सभी खाद्य उत्पादों के बहिष्कार का किसानों ने निर्णय लिया है. हरियाणा के किसान टोल प्लाजा पर वसूली को रोकेंगे
27 दिसंबर को ‘मन की बात’ का विरोध
27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री की तरफ से ‘मन की बात’ की जाएगी, उस वक्त किसान देश भर में थाली, ताली के शोर में उनकी आवाज को दबाएंगे. इसके लिये किसानों की तरफ से अपील की गई है कि थाली बजाएं.