टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने प्रदर्शन किया। किसानों ने ये प्रदर्शन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान के विरोध में किया। किसानों ने कहा कि आखिर वह राजनीतिक दलों को मौका क्यों दे रहे हैं। किसानों की मांग पूरी करें ताकि किसान अपने घर लौट सके। वहीं पंजाब के किसानों का भी कहना है कि उन्होंने भी पंजाब के मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि हम अपनी मांगों को लेकर पंजाब से दिल्ली की बॉर्डर पर 9 महीने से बैठे हुए हैं। लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। किसानों ने कहा कि हम कृषि कानून रद्द करवाने की मांग कर रहे हैं। हम आने वाली पीढ़ियों को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
बता दें कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के किसान आंदोलन को लेकर दिए गए बयान पर टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों में भी काफी रोष है। आंदोलनकारी किसानों ने टिकरी बॉर्डर धरना स्थल के पास मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं किसानों का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विरोधी दलों को क्यों मौका दे रहे हैं। अगर सरकार उनकी मांगे पूरी कर दे तो किसान खुद ही अपने घर लौट जाएंगे।
वहीं पंजाब के किसानों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान पंजाब से आकर दिल्ली की सीमाओं पर अपने हकों की लड़ाई लड़ने के लिए बैठे हुए हैं। आंदोलन के जरिए वे आने वाली पीढ़ियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही। किसानों का कहना है कि बीजेपी सरकार की जात पात की राजनीति अब और ज्यादा नहीं चलने वाली। काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। आंदोलन करने वाले किसान किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं रखते।
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री के खिलाफ भी आंदोलनकारी किसानों ने खूब प्रदर्शन किए हैं। तो ऐसे में कैसे आंदोलनकारी किसानों को पंजाब के मुख्यमंत्री का समर्थन हो सकता है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगें जल्द मान लेती है, तो वह खुद ही अपने घर चले जाएंगे। आंदोलनकारी किसानों ने एक बार फिर से तीनों कृषि कानूनों को जल्द रद्द करने और एमएसपी को लेकर नया कानून बनाने की मांग उठाई है।