अमरसरवाटी क्षेत्र में ‘किसान गांव बंद आंदोलन’ के दूसरे दिन शनिवार को दूध-सब्जियां मंडी तक पहुंचाने के बजाय लोगों को बांटकर किसानं ने विरोध जताया है। किसान महापंचायत के अधिकारियों ने कई गांवों में जाकर नुक्कड़ सभाओ को संबोधित करते हुए किसान आंदोलन में सहयोग करने का अनुरोध किया। अमरसरवाटी क्षेत्र के दूध एकत्रीकरण केंद्र हनुतिया, तेजपुरा, राडावास डेयरियों में किसानों ने दूद नहीं भेजा और आंदोलन मे सहयोग किया। ग्राम पंचायत हनुतिया, राडावास समेत कई गांव में किसानों ने अपनी सब्जी लोगों मे बांटकर और सड़कों मे फेंककर किसानों गांव बंद करो आंदोलन मे सहयोग किया।
देश व्यापी आंदोलन की योजना
आपको बता दें कि राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेतृत्व 10 दिवसीय आंदोलन का असर ग्रामीण क्षेत्रों में दिखने लगा है।गौरतलब है कि किसान आंदोलन एक जून से दस जून तक चलेगा। गांवों मे उत्पादित वस्तुओं की सप्लाई रोकने से मंडियों में सब्जी-दूध की आमद मुख्य रूप से कम देखी जा रही है, जो किसानों की एकजुटता को दिखाती है।
आंदोलन के दूसरे दिन कई जगहों पर किसान संघों का गठन कर आगे की रणनीति तय की गई वहीं आंदोलन के व्यापक प्रभाव को देखते हुए जिला कलेक्टर उपजिलाधिकारियों, पुलिस विभाग को चिट्टी लिखकर आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए है। खबर के मुताबित गठित किसान महासंघ में 110 किसान संघ शामिल होने के अलावा कई राजनीतिक पर्टियां भी किसान आंदोलन के पक्ष में है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने सतर्कता बर्तते हुए चाकचौबंध इंतजाम किए है।
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किसानों की समस्या
किसानो की फसलों का उचित कीमत नहीं मिलने से किसाने में आक्रोश है। किसान अमरसरवाटी क्षेत्र में किसानों,पशुपालकों द्वारा कई मांगों को लेकर गांव बंद अभियान के जरिए विरोध जाहिर किया है।दुग्ध उत्पादक धर्मसिंह खोखर ने गांव बंद को लेकर किसानो से घर बातचीत की है।
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किसान नेता भगवान सहाय बांगड़, जगदीश सैनी, साधु राम जाट के अनुसार किसानों को अपनी उपज का वास्तविक मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान वर्ग से सेवानिवृत कार्मिक रुडाराम कलवानिया के अनुसार कृषि पर निर्भर किसानों की आर्थिक स्थिति आज भी दयनीय है।
मौसम का खराबी, बीज खराबी अन्य प्राकृतिक समस्याऐं और बीमारी होने पर फसलें खराब हो जाती है। ऊंची कीमत पर खरीदे बीज, दवाइयां खरीदकर खेती मे किसान मेहनत करता है। खेती मे उपज का वास्तविक मूल्य नहीं होने के कारण खेती पर आश्रित किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है।