नई दिल्ली। कृषि कानून को लेकर किसानों का आंदोलन दिनों दिन उग्र रूप लेता जा रहा है। किसान आंदोलन को आज दिल्ली में 10वां दिन है। सरकार और किसानों के बीच कृषि कानून को लेकर बातचीत भी हो चुकी है। जिसमें सरकार ने कानून में बदलाव करने की बात कहीं थी। लेकिन किसान कृषि कानून वापस लेने की बात पर अड़े हुए हैं। इसके साथ ही अब किसानों के समर्थन में राजनीतिक पार्टियां आ गई है। वहीं कृषि कानून के विरोध में किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया है। जिसको लेकर सरकार की जड़े और ज्यादा हिल गई हैं। इसी बीच आज फिर किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की वार्ता होगी।
जानें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने क्या कहा-
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10वें दिन भी जारी है. किसानों की आज सरकार के साथ पांचवें दौर की बैठक है। 3 दिसंबर को आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की हुई बैठक बेनतीजा रही थी। किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ का एलान किया है और चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे। आज दोपहर दो बजे सरकार से किसानों की पांचवें दौर की बैठक होनी है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पीएम आवास पहुंचे हैं. किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “मैं आशावान हूं कि निश्चित रूप से किसान सकारात्मक दिशा में सोचेंगे और आंदोलन का रास्ता छोड़ेंगे।
आज पांचवे दौर की वार्ता-
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से अपनी जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। प्रदर्शन के दौरान अब तक कुल सात किसानों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है। कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात है। आज दोपहर दो बजे कृषि मंत्री और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की वार्ता होगी। सरकार और किसान नेताओं की पांचवें दौर की बैठक में आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने उन प्रावधानों के संभावित समाधान पर काम किया है, जिन पर कृषि नेताओं ने आपत्तियां जताई हैं।