देहरादून। जलागम मंत्री सतपाल महाराज जलवायु परिवर्तन और पर्वतीय कृषि को लेकर आयोजित समागम में बतौर विशिष्ट अतिथि अपने विचार रखते हुए कहा कि अटल जी ने कहा था कि जय जवान जय किसान जय विज्ञान अटल जी का नारा था और आज हम इसी पर सोचने यहाँ आए हैं। आज हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर कृषि में नए परिवर्तन होंगे जिनका वैज्ञानिक तर्क है। जिस पर हम यहाँ चर्चा करेंगे।
जलवायु परिवर्तन को हम अपने आस-पास देख रहे हैं। धरती लगातार कार्बन के उत्सर्जन से प्रभावित हो रही है। हमारी धरती पर लगातार ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ओज़ोन की परत लगातार कमज़ोर होती जा रही है। जलवायु के परिवर्तन का असर खेती पर भी पड़ा रहा है। क्योंकि बेमौसम बारिश पाला और मौसम का परिवर्तन खेती को प्रभावित कर रहा है।
हम और आप किसानों को साथ मिलकर देखें कि कैसे जलवायु परिवर्तन को देखते है। यहाँ चर्चा के साथ हम इस बारे में किए जाने वाले प्रयासों का अध्ययन करेंगे। जिससे किसानों की उपज बढ़े साथ ही खेती भी वैल्यू एडिशन बने। अनउजाऊ ज़मीनों खेतों को कैसे उपजाऊ बनाया जाए इस बारे में हमें सोचना होगा। आख़िर उस धरती को कैसे उपजाऊ बना सकते है। बदलते मौसम के दौरान हम कौन सी फ़सलें उगा सकते हैं। हमें जीन बैंक बनाने के बारे में सोचना होगा जिसमें हम उत्तराखंड की खेती का संरक्षण करें। इसको लेकर किसानों और वैज्ञानिकों को साझा काम करना होगा। हमें मिलकर देखना और समझा होगा।