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कत्ल से फांसी तक: बावनखेड़ी गांव में अपनी बिटिया का नाम शबनम नहीं रखता कोई, जानिए रिश्तों की कातिल खलनायिका की पूरी कहानी

शबनम को फांसी का इंतजार

अमरोहा। शबनम…यह नाम सुनते ही बावनखेड़ी गांव के लोगों का चेहरा आज भी गुस्से से लाल हो जाता है। उन्हें नफरत है इस नाम से। इस कदर नफरत की पिछले 12 बरसों में किसी ने भी अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा है।

रिश्तों की कातिल शबनम का जिक्र आते ही लोगों के जेहन में 14 अप्रैल 2008 की वो काली रात उभर आती है। शबनम ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने हंसते-खेलते परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

गांव के लोग बताते हैं, मास्टर शौकत का हंसता खेलता परिवार उनकी शिक्षामित्र बेटी ने उजाड़ दिया। शबनम और सलीम ने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम, भतीजे अर्श और फुफेरी बहन राबिया को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था।
शबनम और सलीम
पांचवीं पास सलीम से हो गया था शबनम को प्यार

शबनम पोस्ट ग्रेजुएट है। वह गांव के एक स्कूल में पढ़ाती थी। स्कूल आते-जाते उसे पांचवीं पास सलीम से प्यार हो गया। शबनम के परिवार को न तो यह रिश्ता मंजूर था और न ही उसका सलीम से मिलना जुलना। शबनम जानती थी कि परिवार उसका सलीम से निकाह नहीं होने देगा। ऐसे में उसने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर परिवार को रास्ते से हटाने के लिए खौफनाक साजिश रच डाली। 15 अप्रैल 2008 की रात शबनम ने खाने में कुछ मिलाया और जब सब बेहोशी की नींद सो गए तो उसने एक-एक कर छह लोगों को कुल्हाड़ी से काट डाला। एक बच्चे का उसने गला घोंट दिया।

पुलिस की जांच में हुए खुलासे से सन्न रह गया गांव

रिश्तों का कत्ल करने के बाद शबनम खूब रोई। उसने गांव वालों और पुलिस को तमाम कहानियां सुनाईं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पूरी हैरान हो गई। पुलिस को पता चला कि परिवार के लोगों का कत्ल लुटेरों ने नहीं बल्कि शबनम और उसके प्रेमी ने किया है। शबनम ने अपने मां-बाप, दो भाई, एक भाभी, मौसी की बेटी को कुल्हाड़ी से काट डाला। जबकि भतीजे को गला दबाकर मार डाला। इस वारदात में उसके पांचवी पास प्रेमी सलीम ने साथ दिया था। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।

इस मामले अमरोहा कोट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली। आखिरकार 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाने का फैसला सुनाया। फैसले को दस साल हो गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने शबनम को फांसी की सजा सुनाई है। गांव वालों का कहना है कि शबनम को जल्द फांसी के फंदे पर लटकाया जाना चाहिए।

कुछ इस तरह आगे बढ़ी पुलिस

रिश्तों का कत्ल करने के बाद उसे लूट की शक्ल देने में जुटी शबनम कई वजहों से घिर गई। पुलिस ने शबनम के बेटे से बात की तो उसने अपनी मां के सलीम से रिश्ते होने की बात बताई। पुलिस ने सलीम से सख्ती से पूछताछ की तो उसके पास से हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और दोनों के खून से लथपथ कपड़े मिले। दोनों के पास तीन सिम और मोबाइल मिले। कॉल डिटेल से साफ हुआ कि दोनों के बीच लंबी बात होती थी। शबनम ने परिवार को बेहोश करने के लिए जो दवा मिलाई थी उसके रैपर भी उसके पास से बरामद हुए। तमाम और लोग भी थे जिन्होंने सलीम और शबनम के रिश्ते की पुष्टि की।
शबनम के परिवार के फाइल फोटो
कत्ल के फांसी तक, कुछ ऐसे चला मामला

शबनम केस को कत्ल से फांसी तक पहुंचाने के लिए 100 तारीखों पर जिरह चली। 29 गवाहों ने शबनम और सलीम के खिलाफ बयान दिए। 27 महीने तक केस की सुनवाई करने के बाद 14 जुलाई 2010 को शबनम और सलीम दोषी करार दिए गए। 15 जुलाई 2010 को अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई। जिरह के दौरान गवाहों से 649 सवाल किए गए थे। इस पर कुल 160 पन्नों की रिपोर्ट तैयार हुई। तीन जिला जजों ने इस मामले की सुनवाई की। जिला कोर्ट में सुनवाई के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखा। अब गांव के लोग कातिल बेटी के फांसी के फंदे पर लटकने का इंतजार कर रहे हैं।

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