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मलेशिया में एंटी फेक न्यूज कानून, मीडिया की आजादी पर उठे सवाल

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 कुआलालम्पुर। मलेशिया की सरकार ने देश में फेक न्यूज के बाजार को बंद करने के लिए एंटी फेक न्यूज कानून बनाया था, जिसका मकसद लोगों को फेक न्यूज से दूर रखने और फेक न्यूज का व्यापार करने वालों पर नकेल कसना था। वहीं अब इस कानून को लेकर लोगों में मीडिया की आजादी को लेकर चिंता नजर आने लगी है। एक तरफ जहां मलेशिया में अगस्त में चुनाव होने वाले हैं तो वहीं पीएम नजीब रजाक ने मीडिया से दुश्मनी मौल ले ली है।
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आपको बता दें कि देशभर में सरकारी फंड में घोटाले को लेकर उनकी फजीहत पहले ही हो चुकी है। इन्हीं दोनों मसलों को देखते हुए वहां के कुछ मीडियाकर्मियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। खबरों के मुताबिक इस ऐंटी फेक न्यूज विधेयक के जरिए जो भी इंसान फेक न्यूज देगा या फिर उसे फैलाने की कोशिश करेगा उस पर सरकार एंटी फेक न्यूज कानून के तहत  भारी जुर्माना लगाएगी और साथ ही इस कानून के तहत छह साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
इस विधेयक के अनुसार, आंशिक तौर पर झूठे समाचार, सूचना, डेटा और रिपोर्ट को फेक न्यूज माना गया है। इसमें हर तरह की जानकारी शामिल है, फिर चाहे वह ऑडियो हो, विडियो हो या फिर कोई ग्राफिक्स। इस नए विधेयक के जरिए अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी टारगेट किया गया है। इसका मतलब यह है कि फेक न्यूज बनाने या फैलाने वाला (चाहे मलयेशिया का नागरिक हो या फिर किसी अन्य देश का) अगर मलयेशिया या उसके नागरिकों के बारे में झूठी खबर फैला रहा है, तो सरकार उसके खिलाफ ऐक्शन ले सकती है।

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