लखनऊ: गोरखपुर खाद कारखाना से यूरिया निर्माण के साथ-साथ पानी को भी शुद्ध किया जा सकेगा। इसके लिए परिसर में संयंत्र लगाया जा रहा है, जिसके माध्यम से चिलुआताल का पानी भी साफ हो पायेगा।
यूरिया बनाने में भी होगा इस्तेमाल
इस ताल के पानी का इस्तेमाल करके खाद कारखाने में यूरिया भी बनाने की तैयारी है, इसके साथ ही इस पानी को शुद्ध करके अन्य कार्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। पानी का पूरा सदुपयोग करने की रणनीति यहां बनाई जा रही है। यूरिया और जल संरक्षण दोनों से क्षेत्र में विकास को भी नई पहचान मिलेगी।
एक घंटे में इस्तेमाल होगा 1450 क्यूबिक मीटर पानी
गोरखपुर खाद कारखाना में हर घंटे 1450 क्यूबिक मीटर पानी का इस्तेमाल होगा। इस आपूर्ति को करने के लिए चिलुआताल पर रबड़ डैम भी बनाने की योजना है, इसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए इसकी खुदाई भी करवाई गई है। खाद कारखाने में ही पानी को शुद्ध करने का संयंत्र लगाया जा रहा है, रबड़ डैम से आने वाले पानी को यहीं शुद्ध भी किया जा सकेगा।
नगर निगम को मिलेगा 77 हजार
चिलुआताल का पानी इस्तेमाल करने के लिए कारखाने की तरफ से नगर निगम को 77450 रुपये दिए जाने की बात हुई है। यह करार जुलाई 2020 में ही कर लिया गया है। इस करार को अगले 30 वर्षों तक जारी रखा जायेगा, जिसे निश्चित अंतराल पर दोबारा बढ़ाया जा सकेगा।
चिलुआताल में रोहिणी और राप्ती नदी का पानी आता रहता है, इसके कारण यहां अक्सर पानी की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है। पूरे परिसर के लगभग 19 एकड़ क्षेत्र से गोरखपुर खाद कारखाना को पानी जायेगा। पानी के इस्तेमाल के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है। यूपी में ही कई ऐसे जिले हैं, जहां गर्मी में पानी की भारी समस्या देखने को मिलती है। ऐसे में गोरखपुर में किया जा रहा यह प्रयोग काफी सराहनीय है।