न्यूयॉर्क। पिछले साल अगस्त में रोहिंग्याओं के खिलाफ फैली हिंसा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने फेसबुक को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं। यूएन ने आरोप लगाया है कि फेसबुक के जरिए म्यांमार में रोहिंग्याओं के खिलाफ नफरत फैलाई गई और गलत संदेशों को सबके पास पहुंचाया गया। म्यांमार मामले में यूएन ने इंडीपेंडेंट इंटरनेशनल फैक्ट फाइंनिंग मिशन के अध्यक्ष मारजुकी दारुसमान ने कहा कि सोशल मीडिया पर रोहिंग्याओं के खिलाफ विरोधी और भड़काऊ विचार फैलाने में फेसबुक ने अहम भूमिका निभाई थी, जिसके कारण हिंसा ने उग्र रूप धारण कर लिया। फेसबुक ने फिलहाल इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, पूर्व में उसने इन संदेशों को हटाने और इन्हें फैला रहे यूजर को प्रतिबंधित करने का दावा किया था।
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या उग्रवादियों ने रखाइन प्रांत के कई पुलिस स्टेशनों में आग लगा दी थी। इसके बाद म्यांमार सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद करीब सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में शरण लेना पड़ी। मानवाधिकार परिषद की बैठक में यूएन जांचकर्ता यांघी ली ने कहा कि म्यांमार में फेसबुक का इस्तेमाल कर भड़काऊ बयान फैलाए गए। मालूम हो कि ली ने पिछले साल वहां हुई हिंसा पर एक रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट को एकतरफा करार देकर उन्हें म्यांमार में प्रतिबंधित कर दिया गया। बीते हफ्ते श्रीलंका सरकार ने कैंडी जिले में अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के दौरान फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि को ब्लॉक कर दिया था।