लखनऊ। वृद्धजनों के अनुभव युवा पीढ़ी के लिए वरदान के समान होते हैं। परिवार में बुजुर्ग वटवृक्ष का रूप होता है। जिस परिवार को बुजुर्ग का आशीर्वाद मिल जाता है,वह खुशनसीब होता है और निरंतर तरक्की भी करता है। बदलते परिवेश में नई पीढ़ी को बुजुर्गों के अनुभव से सीख लेनी चाहिए। यह बातें लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया ने कही। वह सिटी मोंटेसरी स्कूल गोमतीनगर 1 व बाबू श्याम सुंदर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशनस के सह तत्वाधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थी।
महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि आजकल वृद्धाश्रमों का भी बोलबाला है कुछ वृद्ध इसको मजबूरी बताते हैं तो कुछ हेय दृष्टि से भी देखते हैं। मेरी व्यक्तिगत सोच कभी भी इस तरह के आश्रमों के पक्ष में नहीं रही। मैं तो यही चाहती हूँ की घर में बुजुर्गों का साथ हमेशा बना रहे।
महापौर ने आगे कहा कि मेरे विचार में हमारे बुजुर्गों को भी प्रेरणा की आवश्यकता है । जीवन के इस पड़ाव पर भी वह अनुकरणीय उदाहरण दे सकते हैं और वैसे भी हम सदा से अपने बुजुर्गों से ही सीखते आये हैं। वृद्धजन जीवन भर के अनुभव की पूँजी से समाज को सार्थक दिशा से सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन संस्था की संस्थापक डॉ इन्दु सुभाष (भारत )व राम शर्मा (ऑस्ट्रेलिया) ने किया । कार्यक्रम में देश विदेश के करीब 850 छात्र छात्रायों ने भाग लिया।