इंदौर। आगामी एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश किए जाने वाला बजट जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। ऐसे में वित्त मंत्री नोटबंदी, जीएसटी और पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों की मुश्किलों एक बीच अर्थव्यवस्था को गतिशील करने तथा 8 राज्यों की विधानसभाओं एवं आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर नए बजट में सभी लोगों और सभी क्षेत्रों के लिए लाभकारी योजनाओं की सौगात देते हुए दिखाई दे सकते हैं। यह बजट लोकलुभावन नहीं होगा, लेकिन लोक हितकारी योजनाओं से भरपूर होगा। यह मानना है प्रदेश के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी का। उन्होंने यह बातें क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय, इंदौर के सभागृह में आम बजट से आम आदमी की उम्मीदें विषय पर विशेष व्याख्यान में कहीं।
बता दें कि कृषि और किसानों को आगामी आम बजट में सर्वोच्च प्राथमिकता दिये जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 का बजट उद्योग और कारोबार के परिदृश्य के मद्देनजर प्रोत्साहित करने वाला हो सकता है। बजट में लोगों की क्रय शक्ति और रोजगार बढ़ाने के लिए सार्वजनिक व्यय बढ़ाने के कदम आगे बढ़ते हुए दिखाई देना अपेक्षित है। प्रत्यक्ष कर की चर्चा करते हुए डॉक्टर भंडारी ने कहा कि आयकर और कॉरपोरेट टैक्स में रियायत मिलने की भी उम्मीद है।
साथ ही आयकर छूट की जो अधिकतम सीमा ढाई लाख रुपए है, उसे बढ़ाकर बढ़ाकर 4 लाख रूपये किया जा सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत बच्चों के स्कूल, कॉलेज की फीस, बीमा प्रीमियम और विनियोग आधारित लाभ के लिए कटौती डेढ़ लाख रुपए है उसे बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की उम्मीद है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 10 लाख रूपये तक की आय पर आयकर की दर 10 फीसदी का जा सकती है। उन्होंने कहा कि कारपोरेट टैक्स रेट से अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और नौकरियां पैदा होती हैं। इसी के मद्देनजर वातावरण सुधारने के लिए बजट में वित्त मंत्री द्वारा कारपोरेट टैक्स दरें 30 से घटाकर 25 प्रतिशत किए जाने की भी उम्मीद है।
वहीं डॉक्टर भंडारी ने कहा कि 2018-19 में सरकार के समक्ष चुनौतियां दिखाई दे रही हैं। ऐसे में नए बजट में और राहत के लिए भारी संसाधनों को जुटाना कोई सरल काम नहीं है। उन्होंने बताया कि भारी-भरकम वित्तीय व्यवस्थाओं के लिए विनिवेश का लक्ष्य एक हजार अरब रुपए रखा जा सकता है। डॉक्टर भंडारी ने कहा कि आगामी वर्ष 2018-19 के आम बजट में वित्त मंत्री अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए जहां आम आदमी की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा और रोजगार बढ़ाने वाली परियोजनाओं पर व्यय बढ़ाएंगे, वहीं दूसरी और उद्योग, कारोबार और निर्यात क्षेत्र के चेहरे पर मुस्कराहट देने के लिए उपयुक्त राहतकारी बजट प्रावधान दिखाई दे सकते हैं।