नई दिल्ली। रामजन्मभूमि विवाद को लेकर आज से सुप्रीम कोर्ट अपनी नियमित सुनवाई करेगा। इस मामले में कई बार कई पेंच आये लेकिन अब पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट से शीघ्रता के साथ इस मामले को निपटाने के लिए कई बार गुहार लगाई थी। इस मामले की नियमित सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाली गई। जिसके बाद आज से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की नियमित सुनवाई कर रहा है।
बीते 8 अगस्त को इस मामले में एक नया पेंच शिया वक्फ बोर्ड ने एक हलफनामा देकर फंसा दिया है। इसके साथ ही शिया वक्फ बोर्ड का दावा है कि वह विवादित हिस्सा जिस पर शुरूआत से सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना दावा बता रहा है वास्तव में उसका है ही नहीं है। इस पर मालिकाना हक शिया वक्फ बोर्ड का है। लेकिन मस्जिद के निर्माण के पहले वहां मंदिर था ये बता भी सच है। इसलिए इस जमीन को हिन्दुओं को देकर वहां राम का भव्य मंदिर बनाना चाहिए ।
इस हलफनामे के बाद से अब कोर्ट को इस पहलू पर भी विचार करना होगा कि क्या इस मामले में कोई नया रूख आ सकता है। देश की सर्वोच्च अदालत में अभी इस देश का सबसे गम्भीर मुद्दा सुनवाई में पड़ा हुआ। इस मामले को लेकर 21 मार्च को कोर्ट ने एक बड़ा आदेश देते हुए कहा था कि कि दोनों पक्ष आपसी सुलह समझौते के जरिए इस मामले मे पहल करें कोर्ट मध्यस्तता करने को तैयार है। लेकिन इस मामले में कोई सार्थक हल नहीं हो पाया था। लेकिन जब शिया बोर्ड का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंचा तो रामनगरी में इसको लेकर पक्षकारों में कदमताल तेज हो गई।
मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब और इकबाल अंसारी ने इस पूरे प्रकरण पर सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि ये मामला ऑउट ऑफ कोर्ट सुलझ सकता है। अगर प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में मध्यस्थता करें तो। हम लोग बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। हम किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाने का कोई मकसद रखते हैं। अगर पीएम मोदी पहल करेंगे तो ये मुद्दा निश्चित तौर पर सुलझ जायेगा।
हांलाकि आज तक कई बार कई कोशिशें हुई हैं। माना जा रहा है कि इस मामले के दो अहम पक्षकारों हाजीमहबूब और धर्मदास के बीच किसी मसौदे पर इस मुद्दे का हल तय हो चुका है। लेकिन ये किसी बड़े चेहरे की मध्यस्थता में इस समझौते के मसौदे को सार्वजनिक करना चाह रहे हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे में कोर्ट का फैसला आता है या फिर ये पक्षकार मिलकर इसका हल निकाल लेते हैं।
अजस्र पीयूष