December 4, 2023 4:08 pm
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स्तनपान से जुड़ी हुई ये जानकारी हर मां को जाननी चाहिए..

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बच्चे को स्तनपान कराना किसी भी महिला के लिए सबसे यादगार पल के साथ-साथ सबसे खूबसूरत एहसास माना जाता है। स्तन से निकलता दूध प्राकृतिक होता है। स्त्री के स्तन से दूध तभी निकलता है जब वो बच्चे को जन्म देती है।

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नवजात बच्चे के लिए जीवन के पहले कई महीने बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। क्योंकि इस दौरान बच्चा मां के शरीर से निकते दूध को पीकर अपने अंदर कई सारे पोषक तत्व लेता है। जो उसे जीवनन भर बीमारियों से बचाते हैं।
क्या आप जानते हैं जब कोई स्त्री अपने बच्चे को दूध पिलाती है तो बच्चे के अंदर पहुंचने वाले दूध के कई सारे पोषक तत्वों से भरे हुए चरण होते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता जाता है वैसे-वैसे मां के दूध में भी परिवर्तन होते जाते हैं। जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे। आज हम आपको दूध में बदलते पोषक तत्वों के तीन चरणों से जुड़ी हुई जानकारी देने जा रहे हैं।
1-कोलोस्ट्रम
कोलोस्ट्रम स्तन के दूध का पहला चरण होता है। यह गर्भावस्था के दौरान होता है और बच्चे के जन्म के बाद कई दिनों तक रहता है। यह दूध पीले रंग का होता है और काफी गाढ़ा भी होता है। कोलोस्ट्रम प्रोटीन, वसा में घुलनशील विटामिन, खनिज और इम्युनोग्लोबुलिन से भरपूर होता है। इम्युनोग्लोबुलिन एंटीबॉडी होते हैं जो मां से बच्चे में प्रतिरक्षा तत्व पहुंचाते हैं। ये तत्व शिशु को विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और वायरल बीमारियों से बचाता है। जन्म के दो से चार दिन बाद, कोलोस्ट्रम को संक्रमणकालीन दूध से बदल दिया जाएगा।
2-संक्रमणकालीन दूध
संक्रमणकालीन दूध कोलोस्ट्रम के बाद होता है और लगभग दो सप्ताह तक रहता है। इसमें कोलोस्ट्रम की तुलना में अधिक कैलोरी होती है।
3-परिपक्व दूध
मां के स्तन से निकलता परिपक्व दूध अंतिम दूध कहलाता है। इसमें 90% हिस्सा पानी का होता है। ये दूध शुरूआती दिनों में निकलने वाले दूध की तुलना में ज्यादा पतला होता है। इस दूध के अन्य 10% में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा शामिल होते हैं। जो शिशु को वृद्धि और ऊर्जा दोनों प्रदान करते हैं।
परिपक्व दूध दो प्रकार के होता है
1-अग्र-दूध: इस प्रकार का दूध मां में दूध पिलाने की शुरुआत के दौरान पाया जाता है और इसमें पानी, विटामिन और प्रोटीन होता है।
2-हिंद-ये दूध के प्रारंभिक दूध के बाद निकलता है । इसमें वसा का स्तर बहुत अधिक होता है और यह बच्चे का वजन बढ़ाने का काम करता है।

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इसलिए कहा जाता है मां को बच्चे को पहले दिन से लेकर तब तक दूध पिलाना चाहिए जब तक दूध निकलता है। इससे बच्चे अपने पूरे जीवनकाल में बीमारियों से बचे रहते हैं।

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