एटा: उत्तर प्रदेश के एटा जिले में पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिस प्रशासन के बाद अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भी एक्शन मोड में आ गया है। आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक को नोटिस भेजा है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एटा में खाने के पैसों को लेकर हुए विवाद में पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ के तहत 10 लोगों को जेल भेजने के मामले का स्वत: संज्ञान लिया और यूपी डीजीपी को नोटिस भेजा।
यूपी डीजीपी से 6 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
एनएचआरसी ने डीजीपी से छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा मानवाधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव न्याय को भी नोटिस भेजा है। आयोग ने प्रमुख सचिव से जेल में बंद पीड़ितों की सहायता करने को कहा है।
एएसपी क्राइम ब्रांच की जांच में पर्दाफाश
गौरतलब है कि एटा में एक ढाबे पर खाने का बिल मांगने से गुस्साए पुलिसकर्मियों ने ढाबा मालिक सहित 10 लोगों को गिरफ्तार कर फर्जी मुठभेड़ में फंसा दिया। जब ढाबा मालिक जमानत पर छूटा तो उसने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी विभा चहल से की।
इस पर जिलाधिकारी के निर्देशानुसार, जब एएसपी क्राइम ब्रांच ने घटना की जांच की तो पुलिस का मुठभेड़ वाला दावा झूठ निकला। यह बात सामने आने पर आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने दो आरोपी सिपाहियों को निलंबित करने के साथ ही तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर के आदेश दिए।
पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही पुलिस
एडीजी के आदेश के बाद इस मामले में दारोगा इंद्रेश पाल, सिपाही संतोष यादव और शैलेंद्र यादव के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उनकी तलाश में जगह-जगह दबिश दे रही है।
पढ़िए क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह घटना बीती चार फरवरी की बताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ पुलिसकर्मी आगरा रोड पर स्थित एक ढाबे में खाने के लिए पहुंचे थे। उनके खाना खाने के बाद दिव्यांग ढाबा मालिक प्रवीण कुमार ने जब उन्हें 450 रुपये का बिल दिया तो पुलिसकर्मियों ने सिर्फ 100 रुपये ही चुकाए।
इसके बाद बकाया पैसे को लेकर पुलिसकर्मियों और ढाबा मालिक के बीच विवाद हो गया। इस बात से गुस्साए पुलिसकर्मियों ने अगले दिन पुलिस की तीन गाड़ियां बुलवाई और खाना खा रहे लोगों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, एक शख्स को घूस लेने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं, 10 लोगों के खिलाफ फर्जी एनकाउंटर दिखाकर शराब, गांजा तस्करी का आरोप लगाकर उन्हें फंसा दिया।