चेन्नै। एक मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाइकोर्ट ने कहा है कि क्रिस्चन को-एड कॉलेजों में लड़कियों पर असुरक्षा का संकट है। हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रिस्चन नि:संदेह रूप से अच्छी शिक्षा देते हैं लेकिन नैतिकता के मामले में गंभीर रूप से सोचने की जरूरत है।
हाई कोर्ट यौन उत्पीड़न के आरोपी एक प्रफेसर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। मद्रास क्रिस्चन कॉलेज के प्रफेसर सैम्युल टेनिसन पर 34 छात्राओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा, ‘छात्रों विशेषकर छात्राओं के अभिभावकों में यह आम धारणा है कि ईसाई संस्थानों में सहशिक्षा उनके बच्चों के भविष्य के अत्यधिक असुरक्षित है।’ न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा, ‘मौजूदा दौर में, उन पर अन्य धर्म के लोगों के लिए ईसाई धर्म अपनाना अनिवार्य करने के कई आरोप लगे हैं… यद्यपि वे अच्छी शिक्षा देते हैं लेकिन उनकी नैतिकता की शिक्षा हमेशा एक महत्वपूर्ण सवाल बना रहेगा।’
ईसाई मिशनरी पर क्यों उठते हैं सवाल?
अदालत ने कहा कि ईसाई मिशनरी हमेशा किसी न किसी मामले को लेकर सवालों के घेरे में रहते हैं। दरअसल सैम्युल टेनिसन एक ईसाई शिक्षण संस्थान में पढ़ाते हैं और उनके खिलाफ कॉलेज की समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोप में जवाब देने का नोटिश जारी किया है, टेनिसन कोर्ट से गुजारियश कर रहे थे कि उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न शिकायत की जांच करने वाली जांच समिति (आंतरिक शिकायत समिति) के निष्कर्षों और उसके खिलाफ 24 मई 2019 को जारी किया गया दूसरा कारण बताओ नोटिस खारिज किया जाए। अदालत ने समिति के निष्कर्षों और कारण बताओ नोटिस को लेकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।