नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कुछ समय पहले नई शिक्षा नीति बनाई गई थी। जिसमें कई अहम बदलाव किए गए थे। जिसके चलते पढ़ने वाले छात्र पर अब पढ़ाई का दबाव पहले से कम हो गया। जिसके कारण छात्रों और शिक्षकों ने इस नई शिक्षा नीति की खूब तारीफें की थी। इसी बीच कल यानि ब्रहस्पतिवार को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। जिसमें फैसला लिया गया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) अगले शैक्षिक सत्र से छात्रों को उनकी मातृ भाषा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराएंगे। इसकी शुरुआत पहले कुछ चुनिंदा आईआईटी और एनआईटी से होगी।
समस्या के लिए जल्द शुरू होगा हेल्पलाइन नंबर-
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में गुरुवार को शिक्षा योजनाओं व कार्यक्रमों को लेकर हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने यूजीसी को निर्देश दिया है कि वह छात्रों तक छात्रवृत्ति और फेलोशिप समय से पहुंचाना सुनिश्चित करे और इस संबंध में एक हेल्पलाइन भी शुरू करें। डॉ. निशंक ने कहा कि छात्रों की समस्या का निपटारा जल्द से जल्द होना चाहिए। यह भी तय किया गया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विभिन्न बोर्डों की पढ़ाई का जायजा लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं का एक सिलेबस तैयार करेगा। इसके अलावा एक अभियान शुरू किया जाएगा जिसमें इस विषय पर विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों की राय ली जाएगी कि अगले वर्ष परीक्षाएं कब से शुरू की जाए। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘तकनीकी शिक्षा, विशेष रूप से इंजीनियरिंग की शिक्षा मातृ भाषा में देने का लाभकारी निर्णय लिया गया और यह अगले शैक्षिक सत्र से उपलब्ध होगा।
अगली बैठक एक दिसंबर को होगी-
इसी के साथ एनटीए ने पिछले महीने ही हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा नौ क्षेत्रीय भाषाओं में जेईई की मुख्य परीक्षा कराने की घोषणा की थी। हालांकि आईआईटी ने अभी तक यह फैसला नहीं किया है कि क्या जेईई एडवांस की परीक्षा भी क्षेत्रीय भाषाओं में कराई जाएगी। इसी बीच उन्होंने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी जेईई मेंस और नीट के लिए राज्यों के प्रदेश शिक्षा बोर्ड के साथ बैठक कर मूल्यांकन के आधार पर राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं का पाठ्यक्रम तैयार करेगा। इस पर एक दिसंबर को अगली बैठक होगी।