नैनीताल। देहरादून घाटी में लगभग 270 एकड़ नदी के किनारे का अतिक्रमण किया गया है। देहरादून के जिलाधिकारी ने देहरादून में नदियों, झीलों और नालों में अतिक्रमण से संबंधित एक मामले में सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के उच्च न्यायालय में एक हलफनामे में यह बात स्वीकार की। न्यायालय में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में, सरकार ने यह माना है कि अतिक्रमणकारियों की पहचान की जा रही है और उन्हें हटा दिया गया है।
इस पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि अतिक्रमण विरोधी मुहिम के नाम पर गरीबों को निशाना बनाया जा रहा है जबकि प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण को नहीं छुआ जा रहा है।
दलीलें सुनकर, मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अदालत में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
देहरादून में राजपुर के नगरपालिका पार्षद उर्मिला थापा ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि राजपुर क्षेत्र में खड्डों और नालों का अतिक्रमण किया गया था और ऐसे क्षेत्रों में निर्माण किए गए थे। सुनवाई के क्रम में, देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट ने एक हलफनामा प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि दून घाटी में 270 एकड़ नदी की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। इसमें देहरादून में लगभग 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़ और डोईवाला में 15 एकड़ जमीन शामिल है।