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कर्मचारियों ने पंचायत चुनाव के बहिष्कार की दी चेतावनी, ये है पूरा मामला

पंचायत कर्मचारियों ने पंचायत चुनाव के बहिष्कार की दी चेतावनी, ये है पूरा मामला

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इं. हरिकिशोर तिवारी द्वारा पंचायत चुनाव मे ड्यूटी के दौरान हो रही कार्मिकों को परेशानी को लेकर चिंता व्यक्त की है। साथ ही सरकार से मांग की है कि कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद सुरक्षा किट देकर ही कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में भेजा जाए। इस दौरान सरकार के समक्ष कई मांगें रखीं गई हैं। चेतावनी दी गई है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो चुनाव का बहिष्कार कर देंगे।

इस मसले पर हरि किशोर तिवारी ने परिषद के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि इस सम्बंध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर अवगत कराया जाए कि जनहानि के बीच पंचायत चुनाव व्यवहारिक नहीं है। इसके बावजूद अगर पंचायत चुनाव में कार्मिको को चुनाव ड्यूटी में लगाया जा रहा है तो ऐसे कार्मिकों की ड्यूटी लगाई जाए जो वैक्सीन डोज ले चुके हैं।

इतना ही नहीं उन्हें पर्याप्त सुरक्षा किट भी दी जाए। जिसमें पीपीई किट अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाए। इस वीडिया कांफ्रेंसिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह, महामंत्री शिव बरन सिंह यादव, अविनाश श्रीवास्तव, संजीव गुप्ता, अमिता त्रिपाठी, सुभाष तिवारी आदि शामिल हुए।

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राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के अध्‍यक्ष हरि किशोर तिवारी

परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य निर्वाचन आयुक्त  को अवगत कराया है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी कर रहे कार्मिकों को आ रही समस्याओं के संबंध में आपको पूर्व में भी संज्ञानित कराया था। कोरोना महामारी की भयावह स्थितियों के बाद भी पंचायत चुनाव संपन्न कराने में दायित्व का निर्वहन कर रहे कार्मिकों के लिए जरूरी सुविधाएं देने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए जिम्मेदार लोगों का रवैया बहुत गैरजिम्मेदाराना, असंवेदनशील और अमानवीय है।

उन्होंने कहा कि प्रतिदिन पंचायत चुनाव में लगे कार्मिकों की कोरोना संक्रमण से असमय दुखद मृत्यु की खबरें पूरे कर्मचारी समाज को हिला दे रहीं हैं। इन भयावह स्थितियों में अगर प्रदेश के नागरिकों की सेवा करते हुए, सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में, राहत-मदद पहुंचाने में अगर नुकसान होता है तो समझ में आता है लेकिन पंचायती चुनाव में इतनी जनहानि को बर्दास्त करना व्यवहारिक नहीं प्रतीत होता है।

उन्होंने कहा कि अगर चुनाव रोकना संभव या व्यावहारिक न हो तो कम से कम बाकी के चरणों के चुनाव में लगे कार्मिकों को कुछ सुविधाएं ही मुहैया करा दी जाएं। शासन के समक्ष मांग रखी गई है कि चुनाव ड्यूटी में लगे सभी कार्मिकों को अभियान चलाकर, चुनाव ड्यूटी स्थल पर ही वैक्सीन लगाया जाए। जिन कार्मिकों को डाइबिटीज, रक्तचाप या फेफड़े आदि से संबंधित कोई बीमारियां पूर्व से हैं, उन्हें अनिवार्यता चुनाव ड्यूटी से मुक्त करना होगा। ब्लाक या अन्य जगहें जहां ड्यूटी की जा रही है, भीड़ पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की व्यवस्था करना, ड्यूटी के समय अगर कोई कार्मिक संक्रमित होता है तो उसके उचित इलाज की व्यवस्था की जाए।

सभी कार्मिकों को पीईपी किट उपलब्ध कराई जाए। पति पत्नी यदि दोनों सेवा में हैं तब उनमें से पत्नी की ड्यूटी न लगाई जाए। विकलांगता होने पर भी ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिए। 55 वर्ष के ऊपर के सभी कार्मिक क्योंकि कहीं ना कहीं रोगग्रस्त होते हैं उन्हें इस ड्यूटी में नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने शंका जताई कि अगर इन परिस्थितियों का भी सरकार इन मांगों को संज्ञान में नही लेती है तो हम चुनाव बहिष्कार का भी निर्णय लेंगे।

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