नई दिल्ली। कर्मचारियों के हक में एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान कर्मचारी को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि कर्मचारी को वित्तीय मदद देने से इनकार करने का मतलब उसको खुद के बचाव का मौका नहीं देने जैसा होगा। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी को उसके खिलाफ हो रही जांच चलने तक गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है। अगर उस कर्मचारी के पास पैसा नहीं है तो इस बात की अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि कर्मचारी इस जांच में सक्रिय भागीदारी करेगा।
बता दें कि कोर्ट ने कहा कि न्याय तक पहुंच होना काफी महत्वपूर्ण है| यह हर व्यक्ति को उपलब्ध है। कोर्ट ने कहा कि एक अपराधी को भी कानूनी मदद दी जाती है। विभागीय जांच की स्थिति में कोई कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा दुर्व्यवहार का दोषी हो सकता है| पर, यह इस बात का आधार नहीं हो सकता कि उसे पेंशन या गुजारा भत्ता नहीं दिया जाए।
वहीं कोर्ट यूको बैंक की एक अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसने अपने एक कर्मचारी राजेन्द्र शंकर शुक्ला के खिलाफ एक चेक के बिना भुगतान लौटने की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है। बैंक ने आरोप लगाया है कि शुक्ला पूरी ईमानदारी और सच्चाई से अपनी ड्यूटी करने में विफल रहे।