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जानिए: कब-कब और कौन-कौन से पद पर कार्यरथ रहे पीएम मोदी

naredra modi जानिए: कब-कब और कौन-कौन से पद पर कार्यरथ रहे पीएम मोदी

नई दिल्ली। 1995 में मोदी के गुजरात बीजेपी की जिम्मेदारी देखने के दौरान 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सत्ता हासिल की और केशुभाई पटेल सीएम बने। शंकर सिंह वघेला की बगावत के बाद पटेल को सीएम पद छोड़ना पड़ा और 28 सितंबर 1995 को मोदी ने प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। तब उनका केंद्र दिल्ली बन गया।

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1998: मोदी को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इसी साल गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए और मोदी को चुनाव की कमान संभालने को कहा गया। पटेल फिर सीएम बन गए।

2001: अक्टूबर में पार्टी ने मोदी को गुजरात की कमान संभालने को कहा और मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के सीएम पद की शपथ ली। 24 फरवरी 2002 को राजकोट विधानसभा से चुनाव जीतकर विधायक बने।

2002: दिसंबर में हुए चुनाव में 182 में से 128 सीटें जीतकर सत्ता में धमाकेदार वापसी की। 22 दिसंबर 2002 को दूसरे कार्यकाल के लिए सीएम पद की शपथ ली।

2007: विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को बहुमत मिला और मोदी ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली।
2012 : एक बार फिर बीजेपी ने विधानसभा चुनाव जीता और मोदी चौथी बार गुजरात के सीएम बने।

अलग-अलग क्षेत्रों में महारत हासिल करने के बाद कई लोगों ने राजनीति का दामन थाम लिया। 2014 लोकसभा चुनाव में किसी ने युद्ध के मैदान से तो किसी ने आंदोलन से राजनीति में एंट्री मारी।

युद्ध के मैदान से राजनीति के दंगल में

भिवानी में जन्मे भारत के 24वें सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल विजय कुमार सिंह ने BJP के टिकट पर गाजियाबाद सीट पर जीत हासिल की।

खाकी से खादी का सफ़रमुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने BJP के टिकट पर RLD अध्यक्ष अजित सिंह के खिलाफ उन्हीं के गढ़ में जीत हासिल की। समाज कार्य से राजनीति मेंकई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुकी नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता <मेधा पाटकर को नॉर्थ-ईस्ट मुंबई से BJP के किरीट सोमैया ने हराया।

मर्लिन अवॉर्ड से सम्मानित जादूगर पीसी सरकार जूनियर को BJP पश्चिम बंगाल की बारासाट सीट से टिकट दिया था, लेकिन राजनीति में सरकार का जादू नहीं चला। उन्हें तृणमूल कैंडिडेट दस्तीदार से हार का सामना करना पड़ा।

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