नई दिल्ली। आपातकाल में बने तीसरे मोर्चे को लोगों का खूब सहानुभूति प्राप्त हुआ, और इस सहानुभूति के चलते ही, वह तीसरा मोर्चा 1977 में सत्ता में आ गया। सत्ता में आने के बाद बहुत घींच पीच हुई और उसके पश्चात 1980 में फिर सरकार गिर गया। कुछ लोगों का यह भी कहना है की सरकार गिराने में कांग्रेस का ही हाथ था, और 1980 में फिर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो गई। 1977 में जब कांग्रेस सत्ता से हटी थी और नई सरकार बनी थी तो एक वक्त ऐसा लगा था कि आपातकाल कांग्रेस को लेकर डूब जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वो तीसरा मोर्चा सरकार और सत्ता को संभालने में नाकाम रहा, और 3 साल बाद फिर से कांग्रेस ने वापसी की और केंद्र में अपना हक जमा लिया।
बता दें कि आपातकाल लागू होने के बाद देश में सिर्फ स्थिति ही नहीं बदली बल्कि देश की सत्ता भी पूरी तरह से बदल गई थी। क्योंकि इंदिरा के एक फैसले ने देश को हिला कर रख दिया था। जिसके बाद कांग्रेस का तो नुकसान हुआ। लेकिन कांग्रेस के इस नुकसान ने तीसरे मोर्चे को जो फायदा मिला उसका फायदा शायद आज तक उसे मिल रहा है। क्योंकि इंदिरा के आपातकाल के उस फैसले ने कांग्रेस को सत्ता से हटने पर मजबूर कर दिया था। लोगों को लगता था कि अपनी कुर्सी और सत्ता के लालच में इंदिरा गांधी ने वह कदम उठा दिया जिसके चलते आज इंदिरा गांधी पर सारे लोग उंगली उठाते हैं। हालांकि वह कदम गलत और असंवैधानिक था, लेकिन इंदिरा ने कुर्सी के लालच में बिना कुछ सोचे समझे आपातकाल लागू कर दिया, और जनता से उसका मौलिक अधिकार भी छीन लिया।