नई दिल्ली: तुर्की में दो साल पहले लगाया गया आपातकाल आज खत्म हो गया है लेकिन विपक्ष को आशंका है कि अब इसकी जगह और अधिक दमनकारी कानून वैध तरीके से लागू किए जा सकते हैं। 2016 में तख्तापलट की नाकाम कोशिश, अंकारा पर बमबारी और इस्तांबुल में हुई हिंसक झड़पों में 249 लोगों की मौत के बाद आपातकाल लगाया गया था। मिडीया रिपोर्ट के मुताबिक आपातकाल सामान्य तौर पर तीन महीने के लिए लागू रहता है लेकिन यहां इसकी अवधि सात बार बढ़ाई गई और यह अंतत : कल आधी रात को जाकर खत्म हुआ है।
तुर्की की कमान एर्दोआन के हाथ में, दूसरी बार संभालेंगे कमान
सरकार ने यह तय किया है कि यह आठवीं बार नहीं बढ़ाया जाएगा और इसे खत्म करने की घोषणा की। आपातकाल के दौरान करीब 80,000 लोगों को हिरासत में लिया गया और इससे लगभग 2 लाख लोगों की नौकरी चली गई थी जो सरकारी संस्थानों में काम करते थे। इस दौरान न सिर्फ फेतुल्ला गुलेन के कथित समर्थकों , तख्तापलट के दोषी माने जाने वाले अमेरिका के धर्म प्रचारकों को निशाना बनाया गया बल्कि कुर्द कार्यकर्ताओं और वामपंथियों को भी निशाने पर रखा गया था।
पिछले महीने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एर्दोआन ने कहा था कि सत्ता में वापसी के साथ ही वह आपातकाल खत्म कर देंगे। लेकिन विपक्ष के नेता संसद में प्रस्तावित किए गए सरकार के उस नए कानून को लेकर विरोध जाहिर कर रहे हैं जिसमें आपातकाल के कुछ बेहद सख्त पहलुओं को औपचारिक बनाने की बात कही गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पीपल्स पार्टी का कहना है कि नया कानून अपने आप में एक आपातकाल जैसा है।
ऋतु राज