कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 11वां दिन हैं. शनिवार को किसान और सरकार की पांचवे दौर की बैठक हुई. किसानों के आंदोलन को दस दिन से ऊपर हो गए है, पांच दौर की बैठके भी हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई बात नहीं बन पाई है. किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं, सरकार अपने फैसले से नहीं हिल रही. जिसके चलते अभी तक की सभी बैठके बेनतीजा रही.
शनिवार की बैठक असफल
शनिवार की बातचीत के दौरान किसान नेता एक समय चुप हो गए और अपने सामने कागज पर यस या नो लिख कर बैठ गए। यानी वे बात करने के लिए तैयार नहीं है. वे सरकार से सिर्फ हां या ना में जवाब चाहते हैं.
छठे दौर की बैठक में क्या होगा?
किसान संगठनों और सरकार की पांचवे दौर की बैठक शनिवार देर शाम तक चली, लेकिन बैठक बेनतीजा रही. अब अगली बैठक 9 दिसंबर होगी. जिस तरह से बैठके असफल होती जा रही हैं, उससे दोनों की पक्षों में टेंशन बढ़ती जा रही है. वहीं किसानों के आंदोलन की भी और ज्यादा खिंचने की उम्मीद है.
किसान अपनी मांगों पर अड़े
किसान पहले दिन से ही तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने और एमएसपी को कानूनों दर्जा दिलाने की मांग पर अड़े हुए हैं.
सरकार ने विचार करने के लिये मांगा समय
सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तैयार हैं, लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. सरकार डीजल के दामों, मंडी समिति के टैक्स जैसी मांगों को मानने के लिये तैयार है. वहीं किसानों की दूसरे मांगों को लेकर सरकार ने समय मांगा है ताकि वो विचार विमर्श कर सकें.
भारत बंद का एलान
शनिवार की बैठक बेनतीजा होने पर किसानों ने भारत बंद करने का आह्वान किया है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन किसानों के समर्थन में है और 8 दिसंबर को पूरे देश भर में किसानों को समर्थन देते हुए भारत बंद करेंगे. उनकी तरफ से देशभर में अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने की घोषणा की है.