लखनऊ: तमाम कयासों के बीच बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल गई है। कयास थे कि यूपी में बिजली महंगी होने वाली है, लेकिन बिजली की दरें अब महंगी नहीं की जाएंगी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के महंगी बिजली करने के प्रस्ताव पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। आयोग ने बिजली कंपनियों से प्रस्ताव को 10 दिन के अंदर फिर से दाखिल करने को कहा है।
विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि कंपनियों के द्वारा जो बिजली प्लान अनुमोदित किया गया है उसके मुताबिक बिजली कंपनियों का ‘एआरआर’ मतलब वार्षिक राजस्व आवश्यकता नहीं है।
बिजली कंपनियों को लौटाया प्रस्ताव
बता दें कि बिजली कंपनियों ने 22 फरवरी को 2021-22 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यता एआरआर नियामक आयोग में दाखिल किया था। इन प्रस्तावों में शामिल प्रस्ताव से विद्युत की दरें महंगी होने के आसार थे। इस मामले में आयोग ने एआरआर सहित ट्रूअप साल 2019-20 व एपीआर साल 2020-21 को आपत्तियों के साथ बिजली कंपनियों को लौटा दिया है।
आयोग ने तमाम कमियों को गिनाते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक व बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को दस दिन के अंदर संशोधित एआरआर दाखिल करने का निर्देश दिया है। नियामक आयोग ने साफ कहा है कि जो बिजनेस प्लान पास किया गया है, उसके हिसाब से बिजली कंपनियों का एआरआर नहीं है।
वितरण हानियां को पांच प्रतिशत बढ़ाने के प्रस्ताव पर है आपत्ति
गौरतलब है कि जिस दिन बिजली कंपनियों ने एआरआर दाखिल किया था, उसी दिन यूपी राज्य नियामक आयोग के चेरयमैन आरपी सिंह और सदस्यों ने मिलकर बिजनेस प्लान के हिसाब से एआरआर न होने की बात ऱखी थी। परिषद ने इस मामले में मांग की थी कि एआरआर को खारिज किया जाए।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के चेयरमैन से कहा था कि बिजनेस प्लान में जब साल 2021-22 के लिए वितरण हानियां 11.08 प्रतिशन पास की गई हैं, तो वितरण हानियों को बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत करना आयोग के आदेशों का सिरे से उल्लंघन है।