उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को मात्र कुछ ही सप्ताह का समय बचा है। ऐसे में प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां चरम पर है। वहीं चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी को आचार संहिता के उल्लंघन करने के आरोप में फटकार लगाई है। आपको बता दें चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के बीते शुक्रवार यानी 14 जनवरी को राजधानी लखनऊ में पार्टी कार्यकाल में कार्यालय में बड़ी सार्वजनिक सभा एवं कोविड-19 नियमों के पालन नहीं करने की वजह से दोषी ठहराया था। गौरतलब है कि 14 जनवरी को कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए प्रदेश की योगी सरकार की कैबिनेट में हिस्सा रहे। कई मंत्रियों ने भाजपा को छोड़ सपा ज्वाइन की थी और इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव की उपस्थिति में उन्हें सदस्यता दिलाई जा रही है। जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य और डॉ धर्म सिंह सैनी समेत कई भाजपा विधायक शामिल थे।
हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से यह पहला उल्लंघन था ऐसे में चुनाव आयोग ने केवल चुनौती देकर भविष्य में अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि “सपा को भविष्य के लिए अधिक सावधानी बरतनी है और आयोग द्वारा जारी सभी गाइडलाइंस का पालन करना है”
आपको बता दें समाजवादी पार्टी पर आरोप था कि वर्चुअल रैली के नाम पर उन्होंने पार्टी कार्यकाल में काफी भीड़ जुटाई। जिसको लेकर चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी को नोटिस जारी किया था और जवाब मांगा था।
दरअसल समाजवादी पार्टी की ओर से 14 जनवरी को अपने कार्यालय में एक वर्चुअल रैली का आयोजन किया गया था जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य समेत भाजपा से आए कई नेताओं को सदस्यता दिलाई जा रही थी लेकिन इस दौरान सपा समर्थकों की भारी भीड़ कार्यालय में जमा हो गई। इसके बाद यह मामला चुनाव आयोग पहुंचा। यहां तक कि इसके बाद पुलिस ने भी समाजवादी पार्टी के ऊपर मुकदमा दर्ज किया। पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे के तहत 2500 समाजवादी नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 341 के तहत महामारी योग अधिनियम से संबंधित धाराओं को लेकर एफ आई आर दर्ज की गई थी।