नई दिल्ली। 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद ईवीएम मशीन गड़बड़ी मामले पर घिरे चुनाव आयोग ने रविवार(23-04-17) को एक बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने ईवीएम में लगाने के लिएये मतदान के बाद पर्ची देने वाली 16 लाख 15 हज़ार वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) मशीनें खरीदने की तैयारियां कर ली है। इसके लिए चुनाव आयोग ने 16 लाख 15 हजार वीवीपीएटी मशीनों की खरीद के लिए एक पत्र जारी कर दिया है।
मशीनें खरीदने की जानकारी देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. नसीम जैदी ने संवाददाताओं से कहा कि चुनावों में मतदान के दौरान पारदर्शिता को बढाने के लिए आयोग द्वारा ये कदम उठाया जा रहा है। इन मशीनों से सभी मतदाताओं को इस बात की जानकारी हो जाएगी की आखिरकार उन्होंने किसे वोट दिया है, जिससे मतदाताओं का स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बढ़ता है।
उन्होंने ये भी बताया कि ये सभी मशीने एक दिन में नहीं है बल्कि दो साल में खरीदी जाएगी, जिसमें आकंड़े के मुताबिक
3,173.47 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। साल 2017-18 और 2018-19 के दौरान इन मशीनों के लिए सार्वजनिक उपक्रम बीईएल और ईसीआईएल के सीएमडी को शुक्रवार को एक पत्र भी भेजा है। इसमें आयोग ने सितंबर 2018 तक प्रत्येक पीएसयू को 8,07,500 वीवीपीएटी खरीदने के बारे में जानकारी दी जाएगी।
ये कंपनी बनाएगी मशीन
चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को इस संबंध में अलग-अलग पत्र लिखे गए है। प्रत्येक को आठ लाख साढ़े सात हज़ार वीवीपीएटी मशीनों की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है। आयोग का कहना है कि उन्होंने कंपनी को मशीने देने के लिए सितंबर 2018 तक का लक्ष्य़ निर्धारित किया गया है ताकि साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले मशीनें पूरी तरह से तैयार हो।
आशु दास