2021 में पड़ रहे हैं कुल 25 एकादशी के व्रत, जानें क्या हैं तिथियां

महज 6 दिनों बाद पूरी दुनिया नए साल 2021 का स्वागत करेगी. इसी के साथ ही हिन्दू धर्म के व्रत और त्योहारों का आरंभ भी हो जाएगा. हिंदू धर्म में एकादशी या ग्यारस एक महत्वपूर्ण तिथि है. एकादशी व्रत की बड़ी महत्वता है. एक ही दशा में रहते हुए अपने आराध्य देव का पूजन करने की प्रेरणा देने वाला व्रत ही एकादशी व्रत कहलाता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु जी की आराधना के लिए रखा जाता है. नए साल 2021 में एकादशी व्रत का प्रारंभ 09 जनवरी को सफला एकादशी से हो रहा है. साल 2021 की अंतिम एकादशी 30 दिसंबर को है. नववर्ष 2021 में कुल 25 एकादशी व्रत पड़ रहे हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो बार (शुक्ल और कृष्ण पक्ष) एकादशी तिथि आती है. हर एक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है. चलिये जानते हैं 2021 में आने वाली एकादशी की तिथियां.
एकादशी व्रत- 2021
जनवरी 2021: एकादशी व्रत
09 जनवरी: सफला एकादशी
24 जनवरी: पौष पुत्रदा एकादशी
फरवरी 2021: एकादशी व्रत
07 फरवरी: षट्तिला एकादशी
23 फरवरी: जया एकादशी
मार्च 2021: एकादशी व्रत
09 मार्च: विजया एकादशी
25 मार्च: आमलकी एकादशी
अप्रैल 2021: एकादशी व्रत
07 अप्रैल: पापमोचिनी एकादशी
23 अप्रैल: कामदा एकादशी
मई 2021: एकादशी व्रत
07 मई: बरूथिनी एकादशी
22 मई: मोहिनी एकादशी
जून 2021: एकादशी व्रत
06 जून: अपरा एकादशी
21 जून: निर्जला एकादशी
जुलाई 2021: एकादशी व्रत
05 जुलाई: योगिनी एकादशी
20 जुलाई: देवशयनी एकादशी
अगस्त 2021: एकादशी व्रत
04 अगस्त: कामिका एकादशी
18 अगस्त: श्रावण पुत्रदा एकादशी
सितंबर 2021: एकादशी व्रत
03 सितंबर: अजा एकादशी
17 सितंबर: परिवर्तिनी एकादशी
अक्टूबर 2021: एकादशी व्रत
02 अक्टूबर: इन्दिरा एकादशी
16 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी
नवंबर 2021: एकादशी व्रत
01 नवंबर: रमा एकादशी
14 नवंबर: देवुत्थान एकादशी
30 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी
दिसंबर 2021: एकादशी व्रत
14 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी
30 दिसंबर: सफला एकादशी
एकादशी व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ ही भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है और एकादशी व्रत की कथा सुनी जाती है. एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए. विधिनुसार भगवान श्रीकृष्ण का पूजन और रात को दीपदान करना चाहिए. एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए. व्रत की समाप्ति पर श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए.
प० राजेश कुमार शर्मा, भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र, मेरठ, 7017741748–9808668008