नई दिल्ली। ईवीएम और वीवीपैट को लेकर देश में पिछले काफी समय से बहस जारी है। इस बीच चुनाव आयोग ने सरकार के उस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है, जिसमें सरकार की ओर से वीवीपैट मशीनों को प्राइवेट सेक्टर से खरीदने की सलाह दी गई थी। चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि अगर ऐसा होता है तो आम आदमी के विश्वास को ठेस पहुंचेगी। खबरों के मुताबिक ये खुलासा एक आरटीआई के कारण हुआ है। दरअसल कानून मंत्रालय ने जुलाई-सिंतबर 2016 में चुनाव आयोग को तीन चिट्ठियां लिखकर ये सुझाव दिया था।
इसका जवाब देते हुए 19 दिसंबर 2016 को चुनाव आयोग ने कहा कि प्राइवेट मैन्यूफैक्चर को इस काम की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती है। गौरतलब है कि उस दौरान नसीम जैदी मुख्य चुनाव आयुक्त थे। आपको बता दें कि अभी तक भारत में ईवीएम और वीवीपैट को दो पब्लिक सेक्टर यूनिट ही तैयार करती रही हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु में और इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद में ये मशीनें तैयार होती हैं। आपको बता दें कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में वीवीपैट का इस्तेमाल करने का आदेश दिया था।
चुनाव आयोग ने सरकार के इस प्रस्ताव को पांच आधारों पर नकार दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि अगर प्राइवेट सेक्टर इन मशीनों को तैयार करता है,तो आम लोगों का विश्वास इसमें कम होगा। चुनाव से पहले वीवीपैट मशीने राजनीतिक पार्टियों के सामने चेक होती है। क्या प्राइवेट कंपनी 14 साल के लिए वीवीपैट मशीन की जिम्मेदारी लेगी। प्राइवेट कंपनी मशीन में किस प्रकार का सुरक्षा फीचर का उपयोग करती है, ये तय नहीं है। क्या प्राइवेट कंपनी BEL और ECIL की तरह वीवीपैट मशीनों की सुरक्षा की गारंटी ले पाएगी।