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पेड न्यूज आरोप साबित आयोग ने मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ठहराया अयोग्य

Untitled 180 पेड न्यूज आरोप साबित आयोग ने मंत्री नरोत्तम मिश्रा को ठहराया अयोग्य

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने वर्ष 2008 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पेड न्यूज मामले में प्रदेश शासन के मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। शनिवार को पेड न्यूज मामले में चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण फैसला आया है, जिसमें जिसमें प्रदेश के जनसंपर्क, जल संसाधन एवं विधायी कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के चुनाव को शून्य घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद डॉ मिश्रा का मंत्री पद के साथ-साथ विधायकी भी छीन ली जाएगी और वे तीन साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

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जानकारी के मुताबिक दतिया विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में डॉ. नरोत्तम मिश्रा पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए अखबारों में पैसे देकर खबरें छपवाई थीं और इस मामले की शिकायत उन्होंने चुनाव आयोग से की थी।

उन्होंने शिकायत में चुनाव आयोग को यह भी कहा था कि डॉ. मिश्रा ने चुनाव खर्च का हिसाब नहीं दिया है, इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाए। इस मामले में चुनाव आयोग ने वर्ष 2013 में नरोत्तम मिश्रा को बुलाया था। उस दौरान पूछताछ के बाद इस मामले में कार्रवाई से बचने के लिए डॉ. मिश्रा ने हाईकोर्ट में एक याचिका भी लगाई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब इस मामले में चुनाव आयोग ने डॉ. मिश्रा का वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव शून्य घोषित कर दिया।
इस मामले में मंत्री डॉ. मिश्रा का कहना है कि चुनाव आयोग के फैसला 2009 के विधानसभा चुनावों के मामले में आया है। इसके बाद उन्होंने 2013 का चुनाव लड़ा और उसमें जीत दर्ज करने के बाद विधायकी मिली और मंत्रिमंडल में उन्हें अहम पद सौंपा गया। उन्होंने कहा कि फैसला लेने से पहले आयोग ने मेरे पक्ष को नहीं देखा, इसलिए वे चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
वहीं, मंत्री डॉ. मिश्रा के खिलाफ चुनाव आयोग का फैसला आते ही कांग्रेस ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस का कहना है कि नैतिकता के आधार पर डॉ. मिश्रा को अपने मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्विट करते हुए कहा कि डॉ. मिश्रा को अपने पद से तत्काल इस्तीफा देना चाहिए और वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें पद से हटाएं।

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