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इंदिरा एकादशी पर बगैर चावल खाये करें पितरों का पर्तण, होंगे अनेक लाभ

कहते हैं कि पितरों के तर्पण के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत बेहद मायने रखता है और इसको करने से अनंत गुना लाभ मिलता है। पंचांग के मुताबिक यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता हैं। इस साल यह व्रत 13 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा। 
  • भारत खबर || अध्यात्म डेस्क

2 सितंबर से 17 सितंबर तक पितृ पक्ष चल रहा है और ऐसे में हिंदू धर्म के अनुसार लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं और उन्हें उनकी आत्मा की शांति के लिए विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध कर्म करते हैं।  पितृ पक्ष में एकादशी के दिन इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाता है।

कहते हैं कि पितरों के तर्पण के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत बेहद मायने रखता है और इसको करने से अनंत गुना लाभ मिलता है। पंचांग के मुताबिक यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता हैं। इस साल यह व्रत 13 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा। 

कहते हैं कि इंदिरा एकादशी का व्रत जिस दिन किया जाता है उसके अगले दिन यानी की द्वादशी तिथि को खोला जाता हैं, अगले दिन पारण मुहूर्त में खोलना उचित माना गया है।  इस व्रत में चावल का सेवन करने से परहेज करना बताया गया है और यह सिर्फ उनके लिए नहीं है कि जो व्रत रख रहे हो। जो लोग व्रत नहीं रखते उन्हें भी इस दिन चावल का सेवन कतई नहीं करना चाहिए। इस दिन चावल खाने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता हैं।

एकादशी तिथि पर शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन विष्णु की पूजा करनी चाहिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती हैं।

एकादशी का पावन दिन श्री हरि विष्णु की पूजा का दिन होता हैं इस दिन केवल भगवान का गुणगान करना चाहिए। इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए और वाद विवाद से भी दूर रहना चाहिए। 

 

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