7 फरवरी को आए हादसे से उत्तराखंड अभी पूरी तरह उबरा भी नहीं है, कि तपोवन में बनी नई झील से वहां एक और बड़ी आपादा का खतरा मंडरा लगने लगा है.. वहीं शनिवार रात आए तेज भूकम्प के झटकों ने इस डर को और भी गहरा कर दिया है।
बीते शनिवार रात 10 बजकर 31 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। ऐसे में 6.3 की तीव्रता वाले इस भूकंप के चलते उत्तराखंड के लोगों में डर का माहौल बन चुका है, क्योंकि तपोवन में आए जलप्रलय के बाद एक तरफ जहां अभी टनल में फंसे लोगों को बचाने की कवायद जारी है, तो वहीं दूसरी तरफ ऋषिगंगा में दिखी एक नई झील से चमोली में फिर से सैलाब का खतरा मंडरा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले हादसे की वजह त्रिशूल पर्वत के क्षेत्र में भूस्खलन और झील का तेज बहाव था, जिसने ऋषिगंगा में सैलाब की स्थित बन गई थी। अब वहीं ऋषिगंगा के ऊपरी हिस्से में एक और अस्थाई झील बनती दिखाई पड़ी है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है… वैज्ञानिको का कहना है कि हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद जो मलबा नीचे आया है, उसकी वजह से ये झील बन सकती है।
बताया जा रहा है कि अगर ये झील टूटती है तो तो फिर से यहां जल प्रलय की स्थिति बन सकती है। इसलिए इससे पहले की ऐसी कोई स्थिति बने इस झील को तोड़ कर पानी निकलना होगा। इस बारे में राज्य और केंद्र सरकार को सूचित कर दिया गया है, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि झील के परिक्षण के लिए टीम काम कर रही है और सैटेलाइट से इस पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।
बता दें कि तपोवन के एनटीपीसी के निर्माणाधीन टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए 7वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। बीते शनिवार रेस्क्यू के छठें दिन इस जिद्दोजहद में रेस्क्यू टीम को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली है। दरअसल, कल टीम मुख्य टंनल में 12 मीटर ड्रिल कर सिल्ट फ्लशिंग टनल तक पहुंच चुकी है, जिसके बाद अब एसएफटी में कैमरा लगाकर वहां फंसे लोगों की तलाश की जा रही है। वहीं बीते दिन दो और शव बराबद किए गए हैं, जिसके बाद अब मृतको की संख्या 38 हो गई है, जबकि 166 लोग अभी भी लापता हैं।