लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। अस्पतालों में बेड नहीं हैं और मरीजों का तांता लगा हुआ है। मौतों की स्थिति बेहद भयावह है। बैकुंठ धाम पर लकडि़यों की कमी हो गई है। शवों का अंतिम संस्कार करने में लोगों को पसीने छूट रहे हैं।
इस बीच नया संकट सामने आ गया है। बाजारों में दवाईयों का संकट खड़ा हो गया है। एक बार फिर कालाबाजारी का संकट सामने आ गया है। इतना ही नहीं मास्क और सैनिटाइजर के दामों में अचानक बढ़ोत्तरी हो गई है।
एंटीबायोटिक और विटामिन की दवाईयों की मारामारी
राजधानी में एंटीबायोटिक्स और विटामिन से जुड़ी दवाओं का संकट शुरू हो गया है। लखनऊ में 4,800 फुटकर दवा विक्रेता हैं। वहीं, 3,491 थोक दवा विक्रेता हैं। यहां से शहर के साथ-साथ आस-पास के जनपदों को दवा आपूर्ति होती है।
केमिस्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता विकास रस्तोगी और मयंक रस्तोगी ने बताया कि कोरोना में मास्क व दवा का संकट गहरा रहा है। चीन के कच्चे माले से बनने वाली दवाओं के दाम पर व्यापारियों की छूट लगभग खत्म हो चुकी है। वहीं, अब मास्क का भी संकट गहरा रहा है। बाजार में खपत अचानक बढ़ गई है।
मरीज ही नहीं, सामान्य व्यक्ति भी सुरक्षा के लिए मास्क खरीद रहा है। खासकर यात्रा पर जाने वाले व्यक्ति एक साथ कई मास्क ले रहे हैं। ऐसे में मास्क का दाम भी बढ़ गया।
दोगुने हो गए मास्क के दाम
सामान्य मास्क दुकानदारों को 3.5 रुपये में मिलता था। इसे ग्राहक को पांच में बेचा जाता था। अब पांच से छह रुपये में व्यापारियों को मिल रहा है। ऐसे में नौ से दस रुपये में ग्राहकों को बेचा जा रहा है।
ऐसे ही काले कपड़े का मास्क 20 रुपये में मिलता था। 25 में ब्रिकी होती थी। अब 30 में दुकानदारों को मिलता है। ग्राहकों को 35 से 50 में बेचा जा रहा है। ऐसे ही वायरस के लिहाज से सुरक्षित मास्क एन-95 पहले 90 रुपये में दुकानदारों को मिलता था, तो 110 रुपये तक बेचा जाता था।
अब 110 रुपये का व्यापारियों को मिल रहा है तो ग्राहकों को 120 से 130 रुपये में बेचा जा रहा है। मास्क का संकट सरकारी अस्पतालों में भी है।
इन दवाओं और ऑक्सीजन की खपत दोगुना
शहर में संक्रमण टॉप पर है। ऐसे में पैरासीटॉमाल, विटामिन-डी, जिंक, विटामिन-सी, डॉक्सी, पैनटॉप, एजीथ्रोमाइसिन, आइवरमेक्टिन की खपत कई गुना बढ़ गई है। वहीं ऑक्सीजन की डिमांड दोगुना हो गयी है।
दवा की कलाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई होगी। महामारी का वक्त चल रहा है। कोई भी दुकानदार मनमानी नहीं कर सकता। इसे रोकने के लिए लगातार जांच अभियान भी चलाया जा रहा है।
बृजेश कुमार, ड्रग इंस्पेक्टर