भोपाल। प्रधानमंत्री आवास योजना उमरिया जिले की जनपद पंचायत पाली के ग्राम हड़हा में बैगा जनजाति एवं अनुसूचित जाति के कोरी परिवार तथा पिछड़ा वर्ग के विश्वकर्मा परिवारों के लिए नया सवेरा लेकर आई है। इन परिवारों को अपने घर मिल गये हैं।ग्राम हड़हा के भूखन कोरी सात सदस्यीय परिवार के साथ पुस्तैनी कच्चे आवास में रह रहे थे। घर बरसात में टपकता था, खेती एवं मजदूरी से इतनी आय नहीं हो पाती थी कि परिवार की आवश्यकता के अनुसार अच्छा घर बनवा सकें। वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास योजना में इनका चयन हुआ।
बता दें कि इन्हें घर बनाने के लिए शासन द्वारा तीन किश्तों में एक लाख 50 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई। साथ ही शौचालय के लिए समग्र स्वच्छता अभियान से 12 हजार रुपये भी प्राप्त हुए। अब इनका आशियाना बन चुका है। ग्राम हड़हा के ही जमुना प्रसाद विश्वकर्मा, राम विशाल बैगा, राम यज्ञ बैगा के भी प्रधानमंत्री आवास योजना से स्वयं के पक्के आवास का सपना हकीकत में बदल गया है। संध्या और किशोर को भी मिले घर खण्डवा जिले में खालवा विकासखण्ड के ग्राम खारकलां में ब्याह कर आई संध्या को रहने को कच्चा घर मिला जिसमें शौचालय भी नहीं था। संध्या के दो बच्चों का जन्म भी कच्ची झोपड़ी में ही हुआ।
वहीं बच्चे देखते-देखते बड़े हो गये और स्कूल भी जाने लगे लेकिन संध्या का शौचालय युक्त पक्के घर में रहने का सपना पूरा नहीं हो सका। संध्या का यह सपना प्रधानमंत्री आवास योजना ने इस वर्ष पूरा कर दिया है। अब संध्या अपने पक्के मकान में रहकर बहुत खुश है। जिले के ग्राम खारकलां का किशोर पिता हुकुमचंद कोरकू गरीब घर में पैदा हुआ। पिता मजदूरी करते थे, गरीबी के कारण ज्यादा पढ़-लिख नहीं सका और बड़ा होकर पिता के साथ मजदूरी करने जाने लगा। पता का छोटा-सा कच्चा घर था। किशोर की शादी हो गई तो घर में जगह कम पड़ने लगी। किशोर ने भी अपनी पत्नी संध्या के साथ मजदूरी कर कच्ची झोपड़ी बना ली और वह भी अपनी पत्नी के साथ कच्चे घर में रहने लगा।
साथ ही संध्या जब भी किशोर से शौचालय और पक्का मकान बनाने को कहती तो किशोर बात टाल देता क्योंकि पक्का मकान बनाने के लिये लगने वाले एक-डेढ़ लाख रुपये इकट्ठा करना उसके बस की बात नहीं थी। किशोर ने दोस्तों को परेशानी बताई तो दोस्तों ने उसे प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के बारे में बताया। किशोर ने आवास के लिए आवेदन किया, कुछ ही दिनों में उसे एक लाख 35 हजार रुपये की मदद स्वीकृत हो गई। अपना घर बनाने में उसने मजदूरी की जिसके 15 हजार उसे सरकार ने दिये। अब वह पत्नी और दो बेटियों के साथ मजे से शौचालययुक्त पक्के मकान में जीवन-बसर कर रहा है।