नई दिल्ली। भारत के लिए खुशखबरी है कि रूस में बना पहला कोरोनावायरस वैक्सीन भारत में आने के लिए तैयार है। रुकावटों को पार कर लिया गया है और ऐसे में रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष ने बुधवार को कहा है कि वह डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज dr reddy laboratories को भारत में परीक्षण और वितरण के लिए स्पूतनिक वी टीका का 100 मिलियन फराक आपूर्ति करेगा।
भारत में एक बार नियामक स्वीकृति मिल जाए तो इस वैक्सीन की आपूर्ति सुचारु रुप से शुरू कर दी जाएगी। डॉ रेड्डीज लेबोरेटरीज dr reddy laboratories को परीक्षण और वितरण के लिए मिली इस जिम्मेदारी को बेहद सकारात्मक नजरों से देखा जा रहा है।
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष ने कहा है कि डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज dr reddy laboratories क्लिनिकल ट्रायल और भारत में का वितरण में सहयोग करने के लिए तैयार है मंजूरी मिलते ही यह प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी जाएगी और संभव है कि 2020 के अंत तक दिसंबर तक भारत में डिलीवरी के लिए तैयार हो जाए।
फेज 3 का ट्रायल होगा भारत में
डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज के सह-अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद ने कहा, ‘हम भारत को वैक्सीन लाने के लिए आरडीआईएफ के साथ साझेदारी करके प्रसन्न हैं। चरण एक और दो के परिणाम अच्छे रहे हैं और हम भारतीय नियामकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत में फेज 3 का ट्रायल करेंगे। स्पुतनिक-वी का टीका भारत में कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान कर सकता है।’
डॉ. रेड्डी से साथ साझेदारी कर मुझे खुशी: किरिल डिमिट्रिव
रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के सीईओ, किरिल डिमिट्रिव ने कहा, ‘हमें भारत में डॉ. रेड्डी के साथ साझीदार करने पर बहुत खुशी है। भारत कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से है और हमें विश्वास है कि हमारे ह्यूमन एडीनोवायरस ड्यूल वेक्टर प्लेटफॉर्म कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत को एक सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से मान्य विकल्प प्रदान करेंगे।’
स्पुतनिक-वी वैक्सीन को गामालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा 11 अगस्त को विकसित किया गया है। इसे रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पंजीकृत किया गया था और ह्यूमन एडीनोवायरस ड्यूल वेक्टर प्लेटफॉर्म के आधार पर ये कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का पहला रजिस्टर्ड टीका बन गया। हालांकि, दुनिया भर के कई चिकित्सा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने परीक्षण डेटा की पारदर्शिता के अभाव में रूस की इस कोविड-19 वैक्सीन पर संदेह जताया था।