नई दिल्ली। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने आज यहां उद्यमियों एवं पारिस्थितिकी प्रणाली निर्माताओं को राष्ट्रीय उद्यमशीलता पुरस्कार 2019 प्रदान किया। पुरस्कार समारोह का चौथा संस्करण आज 2014 में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के गठन के पांच वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
इन पुरस्कारों का उद्देश्य प्रथम पीढी के असाधारण युवा उद्यमियों एवं पारिस्थितिकी प्रणाली निर्माओं को उद्यमशीलता विकास में उनके असाधारण योगदान को सम्मानित करना एवं उद्यमियों को सहायता उपलब्ध कराना है। यह भविष्य की पीढियों एवं भारत के युवाओं के बीच उद्यमशीलता की भावना का संचार करने का पक्षधर है।
इन पुरस्कारों के लिए 6098 आवेदनों को ऑनलाइन प्राप्त किया गया, जिन्हें उनकी पूर्णता एवं शुद्धता के लिए जांच की गई। इसके बाद 4134 योग्य आवेदकों का प्रक्षेत्र आकलन एवं क्षेत्रीय ऑनलाइन मूल्यांकन देशभर में फैले 12 साझीदार संस्थानों द्वारा किया गया। डॉ. आर.ए. मशेलकर की अध्यक्षता में उद्योग, शिक्षाविदों एवं व्यवसाय से जुड़े विशेषज्ञों से निर्मित राष्ट्रीय ज्यूरी ने अंतिम विजेताओं के नाम का चयन किया। उद्यमियों के लिए प्रतिस्पर्धा की तीन श्रेणियां थीं- एक लाख रुपए तक के आरंभिक निवेश के लिए ए-1 श्रेणी, एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच के आरंभिक निवेश के लिए ए-2 श्रेणी तथा 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच के आरंभिक निवेश के लिए ए-3 श्रेणी। विभिन्न क्षेत्रों को इन पुरस्कारों के लिए चुना गया तथा महिला उद्यमी, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी, दिव्यांग श्रेणी के उद्यमियों, कठिन क्षेत्रों के उद्यमियों सहित 4 विशिष्ट श्रेणियां थीं। पुरस्कार विजेताओं को एक ट्रॉफी, प्रमाण पत्र एवं पांच लाख रुपये (उपक्रम/एकल) एवं 10 लाख रुपये (संगठन/संस्थान) का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।
डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि पुरस्कार विजेता नए और उभरते भारत को परिलक्षित करते हैं, जो आत्मविश्वास से पूर्ण है एवं आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता होती है कि इस प्रतिस्पर्धा में देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया है और पुरस्कार जीता है। देश में बेहतर कुशल श्रमबल के प्रधानमंत्री के विजन को कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा प्रभावी तरीके से क्रियान्वित किया जा रहा है। कुशल श्रमबल निकट भविष्य में पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था की बनने और व्यवसाय करने की सुगमता में देश के रैंक में बेहतरी लाने की देश की आकांक्षा को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने युवा, उद्यमी एवं आकांक्षी भारत की सहायता के लिए स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी कई योजनाएं आरंभ की हैं। मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों से न केवल लोगों के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार आया है, बल्कि यह विभिन्न सामाजिक बुराइयों पर अंकुल लगाने पर भी सहायक रहा है।
इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमशीलता सचिव डॉ. के पी कृष्णन ने कहा कि चार वर्षों के भीतर पुरस्कारों के लिए पूर्ण आवेदनों की संख्या 10 गुनी बढ़ गई है, जो भारत के लोगों के बीच उद्यमशीलता की बढ़ती भावना को प्रदर्शित करती है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस प्रतिस्पर्धा में शहरों तथा छोटे नगरों के लोगों ने पूरे मन से भाग लिया है और आवेदकों की सबसे बड़ी संख्या कृषि श्रेणी में थी।