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WHO के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयमैन बनने जा रहे भारतीय केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन

डॉ. हर्षवर्धन WHO के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयमैन बनने जा रहे भारतीय केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयमैन बनने जा रहे हैं।

नई दिल्‍ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) में भारत का कद बढ़ने जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के 34 सदस्यीय एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अगले चेयमैन बनने जा रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री को यह जिम्‍मेदारी मिलना काफी महत्‍व रखता है। अधिकारियों ने बताया कि हर्षवर्धन 22 मई को पदभार संभाल सकते हैं और वह जापान के डॉ. हिरोकी नकतानी की जगह लेंगे।

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बताया जा रहा है कि हर्षवर्धन जापान के डॉ हिरोकी नकाटानी की जगह लेंगे, जो वर्तमान में 34-सदस्यीय डब्ल्यूएचओ कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष हैं। अधिकारियों ने कहा कि हर्षवर्धन का चयन 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में किया जाएगा। क्षेत्रीय समूहों के बीच अध्यक्ष का पद एक वर्ष के लिए रोटेशन द्वारा आयोजित किया जाता है। यह पिछले साल तय किया गया था कि शुक्रवार से शुरू होने वाले पहले वर्ष के लिए भारत का उम्मीदवार कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष होगा।

इन देशों को मिली जगह

तकनीकी रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर 34 देशों को ही कार्यकारी बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है। लेकिन पहली बार इसमें ऐसे देशों को भी शामिल किया गया है, जो इसमें काफी पिछड़े हैं। भारत के अलावा बोर्ड के सदस्यों के रूप में बोट्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर, ओमान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस और ब्रिटेन को जगह मिली है।

कोविड-19 : डब्ल्यूएचओ की भूमिका की स्वतंत्र जांच को सभी देश तैयार

कोरोना वायरस के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भूमिका की स्वतंत्र जांच के लिए सभी सदस्य देशों ने मंगलवार को हामी भर दी। डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्यों की वार्षिक बैठक में बिना किसी आपत्ति के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। यूरोपीय संघ ने 100 देशों की ओर से यह प्रस्ताव सोमवार को पेश किया था।

प्रस्ताव में कोविड-19 के खिलाफ डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की मांग की गई है। डब्ल्यूएचओ को स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने में देरी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में स्वतंत्र जांच के तहत यह देखा जाएगा कि आखिर डब्ल्यूएचओ इस महामारी के खिलाफ अपनी रणनीतियों में कहां विफल रहा। प्रस्ताव में महामारी के उपचार के लिए वैक्सीन की पारदर्शी और समय पर पहुंच सुनिश्चित करने को भी कहा गया है। 

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