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सिद्धार्थनगर में दर्जनों ट्यूबेल झेल रहे विभागीय उदासीनता का दश, महीनों से पड़े हैं बंद

kisan सिद्धार्थनगर में दर्जनों ट्यूबेल झेल रहे विभागीय उदासीनता का दश, महीनों से पड़े हैं बंद

यूपी। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां किसानों को अन्न दाता कहा जाता है जिसके खेती करने को लेकर सभी आश्रित रहते हैं। कि जब किसान खेती करेगा तभी सभी को खाने को मिलेगा। जहाँ केंद सरकार से लेकर राज्य सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर बहुत ही गंभीर दिख रही हैं वहीं किसानों की समस्या कम होने का नाम नही ले रहा है। कभी किसान सूखे के मार झेलता तो कभी बाढ़ का वहीं वो अपनी खेतों को किसी तरह उपजाऊ बनाने में लगातार लगा रहता है। किसी भी खेती को करने में पानी की जरूरत होती ही रहती हैं जिसके लिए सरकार के द्वारा ट्यूबेलो को लगाया गया है जो कि अक्कर किसी न किसी समस्याओं के कारण बन्द पड़े रहते हैं। जिससे किसानों को पम्पसेट का सहारा लेना पड़ता है जिसमे उसकी जेब ढीली करना पड़ता है। ताजा मामला सिद्धार्थनगर के ऐसे दर्जनों ट्यूबेल है जो विभागीय उदासीनता का दश झेल रहे हैं और कई महीनों से बंद पड़े हैं।

आपको बताते चलें कि जिले में कहने के लिए तो 403 ट्यूबेल लगे हुए हैं जो कि समय से किसानों को पानी देने के लिए लगे हैं लेकिन किसानों की माने तो उनके खेती की समय पर कई ट्यूबेल अक्सर बन्द ही पड़े रहते हैं जो कि किसानों के किसी काम के नही हैं। वही किसानों की कहे तो ट्यूबेल के न चलने से अक्कर उन्हें पम्पसेट का सहारा लेना पड़ता है जिसमे डीजल की बढ़ती महंगाई को लेकर हमेशा ही समस्या बनी रहती हैं जिससे खेती करने में बड़ी कठिनाई होती रहती हैं जिससे उनकी जेब ढीली होती रहती हैं।वहीं कई ट्यूबेल तो धान की खेती करने से लेकर अब तक बंद पड़े हैं जो कि चलने का नाम नही ले रहा हैं।किसानों की माने तो अगर ये ट्यूबेल चलते तो हमारी कुछ समस्याएं कम हो जाती।

वहीं अधिकारी की माने तो ट्यूबेल की समस्याओं को ठीक कराया जाता है।जिसमे इनका सामान बाहर से आता है जिसमे कुछ देरी होती है।लेकिन सिचाई के समय पर सारे ट्यूबेल को सुचारू रूप से संचालित कर दिया जाता है।इस समय जिले में 16 ट्यूबेल बन्द पड़े हैं जिसकी रिपेयरिंग चल रही हैं वे जल्द शुरू हो जाएंगे।अब देखना यह कि कब किसानों की समस्याओं पर ट्यूबेल पानी देगा या फिर पानी फेरेगा।

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