साल 2018 में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर को खुले में शौच मुक्त कर दिया गया था। लेकिन सरकार के दावे कुशीनर में जमीनी हकीकत से बहुत दूर है।
कुशीनगर। साल 2018 में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर को खुले में शौच मुक्त कर दिया गया था। लेकिन सरकार के दावे कुशीनर में जमीनी हकीकत से बहुत दूर है। शौचालय न होने के बाद जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया की बहुएं ससुराल छोड़कर अपने मायके चली गई। बहुओं को शौचालय न होने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सभी बहुओं का कहना है कि जब तक ससुराल में शौचालय नहीं होगा तब तक हम घर वापस नहीं आएंगे। घुंघट की इस बगावत ने सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की सारी पोल खोलकर रख दी है।
वहीं जगदीशपुर गांव भी ओडीएफ हुआ था। लेकिन टोला भरपटिया के ज्यादातर घरों में शौचालय नहीं है। इस मामले में ग्राम प्रधान और जिला पंचायतराज अधिकारी एमआईएस और सूची का हवालादे रहे हैं लेकिन इसमें सवाल ये उठता है कि अगर इन गरीबों का नाम सूची में नहीं आया तो ये क्यों नहीं आया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
https://www.bharatkhabar.com/ranbirs-humshakal-dies/
बता दें कि कुशीनगर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत कुशीनगर जनपद में तकरीबन 4 लाख शौचालय बनने थे। 30 नवंबर को 2018 को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था। ओडीएफ का मतलब है कि गांव के शौचालयों को शत प्रतिशत करा दिया गया है। लेकिन कुशीनगर के जंगल जगदीशपुर टोला भरपटिया की बहिओं ने सरकार की इस दावे से पर्दा उठा दिया। ये बहुएं ससुराल का घर छोड़कर अपने मायके चले गई।
साथ ही कुशीनगर में शौचालय की सच सामने लाने वाली बहुओं का कहना है कि गांव में शौचालय न होने के वजह से हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव के एक तरफ नाला बहता है औक एक तरफ नहर चल रही है जिसकी वजह से चारो तरफ पानी बहता है। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए हमने फैसला लिया है कि जब तक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता तब तक हम मायके में ही रहेंगे। टोला भरपटिया में करीब 1000 की आबादी है और यहां आधे से ज्यादा तबके के गरीब लोग रहते हैं जिनमें ज्यादातर लोगों के पास शौचालय नहीं है।