प्रयागराज: यमुना नदी पर बना अग्रेजों के जमाने का ब्रिज गऊघाट रेल ब्रिज इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है।। इस ब्रिज के उपर टू लेन ट्रेने चलती है। साथ ही इसके नीचे गाड़ियों की भी आवाजाही रहती है। इस नायाब ब्रिज को लेकर रेलवे ने एक डाक्यूमेंट्री रिलीज की है। रेलवे ने कहा यह ब्रिज धरोहर के साथ सेवा के लिए भी समर्पित है।
प्रयागराज के लोग गऊघाट के नाम से बुलाते
उत्तर मध्य रेलवे-पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विनय त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए कहा यह ब्रिज भारतवासियों और रेलवे के लिए गौरवमयी है। यह ब्रिज रेलवे में पुल नबर 30 से जाना जाता है। प्रयागराज के लोग इसे गऊघाट नाम से भी जानते है।
1859 में पहली बार संचालित हुआ था पुल
यह ब्रिज 1859 में प्रयागराज और कानपुर के बीच पहली बार संचालित किया गया था। ब्रिटिश काल में इसकी लागत लगभग 44 लाख 46 हजार रुपए आई थी। 1855 में इसकों बनाने की तैयारी शुरू की गई थी। इस नायाब पुल को बनाने में छह साल का समय लगा था।
बाढ़ भी नहीं डिगा पाई
ब्रिटिश काल के इस पुल की मजबूती भी खास है। 1978 में भीषण बाढ़ भी इस पुल को नहीं हिला पाई थी। यमुना की तेज लहरों ने पुल पर एक के बाद एक कई हमले किए थे। पर यह पुल अपने गौरव के साथ खड़ा रहा।