लखनऊ। कोविड प्रबन्धन, होम आइसोलेशन रोगियों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिए वरिष्ठ नोडल अधिकारी डॉ रौशन जैकब ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रवार शिक्षकों और डॉक्टरों का विंग बनाया है। जो पॉजिटिव रोगियों को शिक्षकों के द्वारा कॉल करके उनका फॉलोअप लेते हैं।
हैलो डॉक्टर नाम से बनी इस सेवा में करीब 250 डॉक्टर लगे हैं। जो चिकित्सा की सभी विधाओं से जुड़े हैं। जो होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श दे रहे हैं। अब तक कुल आठ हजार से ज्यादा मरीजों को हैलो डॉक्टर सेवा से चिकित्सकीय परामर्श दिया जा चुका है। इस सेवा में लगे कुछ डॉक्टरों ने अपने अनुभव शेयर किए हैं।
क्रांतिकारी कदम हो रहा साबित, मरीजों की सेवा कर अच्छा लग रहा
राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमितेश कुमार सिंह कहते हैं कि यह सेवा मील का पत्थर साबित हो रही है। फोन पर मरीजों को परामर्श देना और उनको ठीक होते देखना किसी भी सुखद अहसास से बड़ा अनुभव है। मैं इस बेहतरीन सेवा से जुड़कर खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन का आभार प्रकट करता हूं।
मरीजों की संतुष्टि ही हमारा सबसे बड़ा इनाम
नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के रीडर डॉ अनिरूद्ध कुमार कहते हैं कि यहां 25 दिनों से जुड़ा हूं। मरीजों की सारी समस्याओं का निदान अलग-अलग स्तर पर गठित टीमों के द्वारा किया जाता है। मेरे स्तर पर मरीजों को कोविड गाइडलाइन की दवाइयां व होम्योपैथिक औषधियाँ उनके लक्षण की गम्भीरता को देखते हुये बताई जाती हैं। यदि आवश्यक होती है तो मरीज की ऑक्सीजन, अस्पताल में भर्ती की भी व्यवस्था तत्काल टीम के द्वारा की जाती है। मरीजों की संतुष्टि ही हमारा सबसे बड़ा इनाम है।
कठिन समय में लोगों के लिए जरिया बनने का सौभाग्य सबको नहीं मिलता
स्टेट नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ फरहीन कहती हैं कि हम मरीजों को उनके लक्षणों के आधार पर उनको दवाइयों एवं सामान्य जानकारी उपलब्ध कराते हैं। जिसके अन्तर्गत मरीजों को बाहर जाने के बजाय, अपने-अपने घरों में रहकर सुविधा उपलबध कराई जा रही है । इससे मरीजों को काफी आराम मिल रहा है। मरीजों को काफी अच्छा लगता है और साथ ही डॉक्टर होने पर गर्व भी महसूस होता है कि इस कठिन समय पर हम उनकी मदद का एक जरिया बन पा रहे है और आगे भी करते रहेंगे।
लोगों के मन से भय निकालने में सूकुन मिलता है
डॉ शताक्षी मिश्रा ने बताया कि टेलीमेडिसिन सेवा हमारे बैच और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर द्वारा अप्रैल के अन्त में शुरू की गई थी। हम 30-40 डॉक्टरों का एक समूह है। बाद में हैलो डॉक्टर टीम ने हमसे सम्पर्क किया और लखनऊ से कॉल हमारे नम्बरों पर हमारे उपलब्ध समय स्लॉट के अनुसार निर्देशित की गईं। हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि जनता को मुफ्त परामर्श प्रदान किया जाए। कोविड-19 (कोरोना) एक बहुत व्यापक महामारी है। जिसने जनता के मन में बहुत भय और आशंकाए पैदा की हैं। इसी के कारण हर दो घंटे में 45-50 कॉल आती हैं। जनता हमारे डॉक्टर्स से निशुल्क् परामर्श लेते हैं। मसलन, कब टेस्ट करवाना है, कब घर में रहना है, कब हॉस्पिटल जाना है, कोविड के बाद के लक्षणों को कैसे रोकें और अस्पताल से छुट्टी के बाद कैसे करें, कब और कितनी बार टेस्ट करवाना है, टीका कब लगवाएं, ब्लैक फंगस क्या है और इसके क्या लक्षण हैं, टीकाकरण के बाद लक्षणों का प्रबंधन कैसे करें आदि। सोशल मीडिया पर गलत सूचना और समाज में भ्रम की स्थिति के साथ ये सामान्य प्रश्न थे। लोगों को सरकार के द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों के बारे में जागरूक होने की ज्यादा जरूरत है।
आ रहा सकारात्मक बदलाव
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की डॉ रितिका चौधरी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के मामलों में तेजी के दौरान टेलीमेडिसिन समय की आवश्यकता थी। क्योंकि रोगी और डाक्टर दोनों की ओर से प्रत्येक व्यक्ति से परामर्श करना लगभग असम्भव था। यह वही समय है जब हम उत्तर प्रदेश के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों ने लोगों की जान बचाने के बारे में सोचा। जिसमें 2015 के पास आउट डाक्टरों का एक समूह शामिल हुआ। जहां सुबह सात बजे से दोपहर तीन बजे तक जनता को मुफ्त मेडिसिन और मुफ्त परामर्श प्रदान की गयी। बहुत से डाक्टर ने हैलो डाक्टर टीम से जुड़े और टेलीमिडिसिन के तहत मदद के लिए हाथ बढ़ाया। लोगों के अन्दर जो सकारात्मक बदलाव आया वह अमूल्य है और साथ ही प्रशंसनीय है।