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कोरोना के बीच डॉक्‍टरों ने डब्‍ल्‍यूएचओ पर लगाए गंभीर आरोप, जानिए क्‍या है मामला

dr anuruddh कोरोना के बीच डॉक्‍टरों ने डब्‍ल्‍यूएचओ पर लगाए गंभीर आरोप, जानिए क्‍या है मामला

लखनऊ। पूरक व वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा, योग प्राकृतिक पद्धतिओं के चिंकित्सकों का मानना है कि डब्लूएचओ एक विशेष चिकित्सा पद्धति मॉडर्न मेडिसिन के दबाव में काम करता है। यह उसके द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों से साबित होता है।

यह विचार केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी द्वारा लाइफ लाइन होम्यो क्लिनिक, अग्रवाल प्लाजा, सी ब्लॉक, इंदिरा नगर परिसर में सबको स्वास्थ्य का संकल्प में आयुष पद्धतियों की भूमिका पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये।

डॉ. अनुरुद्ध ने कहा कि सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आयुष पद्धतियाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता में नहीं हैं। वह उनके संबंध में कभी दिशा निर्देश नहीं जारी करता है। यहाँ तक की ज्यादातर मामलों में इनकी रोगोँ के उपचार एवं बचाव में कार्यकारिता को नजरअंदाज करता है।

उन्होंने कहा कि इसका प्रमाण है कि अनेक देशोँ में कोविड 19 की रोकथांम एवं बचाव में इन पद्धतियों के सफलता पूर्वक प्रयोग करने के बाद भी इन पद्धतिओं पर कोई सकारात्मक बयान नहीं दिया है। ज्यादातर मामलों में विरोध किया है।

उन्होंने बताया कि डब्लूएचओ का बहाना लेकर ज्यादातर देश पूरक एवं वैकल्पिक पद्धतिओं के विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है।

देश की ज्यादातर आबादी मंहगी दवाओं का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। यहां तक की लोगों को अपना एवं परिवारीजनों का इलाज कराने के लिए जमीन जायदाद बेचना बढ़ता है और जेवर तक गिरवी रखने पर मजबूर होना पड़ता है।

डॉ वर्मा ने कहा कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन एवँ भारत वास्तव मेँ जनता की स्वास्थ्य रक्षा के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें वैकल्पिक, पूरक एवँ आयुष पद्धतिओं को प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल में इनको शामिल कर उपलब्ध कराना होगा इन्हें हर स्तर तक पहुंचाना होगा तथा वह स्थान जो दूरदराज़ हैं। जहाँ स्वास्थ्य सेवायें नहीं पहुंच सकी हैं। ग्रामीण आबादी तक इनकी सुविधाएं पहुंचाना पड़ेगा।

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ रवींद्र सिंह ने कहा कि इन पद्घतियों की दवाइयाँ सुरक्षित, वहन करने योग्य,किफ़ायती  और समुदाय की देख भाल में सक्षम हैं। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ एस एस यादव ने कहा कि इसके लिए एक समन्वित प्रयास, नीति, कार्यक्रम की जरूरत है।

इस प्रकार के प्रयास से वैकल्पिक, पूरक एवं आयुष पद्धतिओं को मुख्यधारा में शामिल कर सबको स्वास्थ्य का संकल्प एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे और स्वस्थ दुनिया के निर्माण के सपने को साकार कर सकेंगे।

डॉ आशीष वर्मा ने कहा कि सरकार को आयुष पद्धतियोंको बढ़ावा देना चाहिए। गोष्ठी को डॉ अरुण प्रकाश, डॉ एस के वर्मा,  खान महमूद, एन के यादव, अभिषेक यादव आदि ने सम्बोधित किया ।

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