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Online Classes: डॉक्टर्स की ये Advice रखें याद, छात्रों-अभिभावकों को मिलेगा फायदा

Online Classes 2 Online Classes: डॉक्टर्स की ये Advice रखें याद, छात्रों-अभिभावकों को मिलेगा फायदा

लखनऊ: वैश्विक महामारी कोरोना ने देश की आर्थिक स्थिति को कमज़ोर किया लेकिन डिजिटल क्रांति लाकर हमें शिक्षा के नए स्वरूप से जोड़ दिया। यहां बात हो रही है ऑनलाइन क्लासेज की। साल 2020 से लगभग सभी कॉलेजों और स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं को प्रमोट किया है। हालांकि, शिक्षा के इस नए रूप में ढलना आसान नहीं है।

ऑनलाइन क्लासेज के कारण छात्रों को कई तरह की शारीरिक समस्याओं से झूझना पड़ता है। अब इन समस्याओं से पार कैसे पाया जाए, डॉक्टर्स ने इसी की एडवाइस भारतखबर.कॉम के माध्यम से छात्रों और अभिभावकों को दी है। आप भी पढ़िए इन एडवाइस को…

बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं पैरेंट्स: डॉ. नंद किशोर

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट डॉ. नंद किशोर (बाल रोग विशेषज्ञ) ने एडवाइस दी है कि पैरेंट्स को बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए। बच्चों के साथ बैठकर उनकी दिनचर्या और उनके हाल के बारे में पूछना जरूरी है। बच्चों के साथ खेलें, उनको हसाएं और उन्हें खुश रखें। डॉक्टर नंद किशोर का कहना है कि अभिभावक द्वारा बच्चों को प्रेरित किया जाए जिससे वे इनडोर गेम्स, योग, प्राणायाम आदि को अपने जीवन में महत्त्व दें।

Online Classes: डॉक्टर्स की ये Advice रखें याद, छात्रों-अभिभावकों को मिलेगा फायदा
Dr. Nand Kishore, Senior Consultant (Child Specialist)
Dr SPM Civil Hospital
Lucknow

डॉक्टर नंद किशोर के मुताबिक, ‘ऑनलाइन क्लासेज कब खत्म होंगी ये किसी को नहीं पता, ऐसे में बच्चों के खान-पान पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। मेरी सलाह है कि अभिभावक, बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दें जिसकी उनकी एकाग्रता बढ़े, हरी सब्जियों का सेवन करवाएं जिससे शरीर में ताकत बढ़े, इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन भी ख़त्म होगा।’

व्यायाम और योग जरूरी: डॉक्टर

वहीं डॉक्टर नंद किशोर का कहना है कि, ऑनलाइन क्लास के दौरान स्क्रीन पर छात्र लंबा समय व्यतीत करता था इससे उसके अंदर चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव बढ़ता है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को योग और व्यायाम करने के लिए प्रेरित किया जाए। इससे उन्हें तनाव से मुक्ति मिलेगी साथ ही उनकी स्मरणशक्ति भी और ज्यादा विकसित होगी। उन्होंने बताया, ‘ऑनलाइन क्लास में बच्चे सीमित हो जाते हैं क्योंकि वे स्कूल नहीं जा पाते हैं, दोस्तों से नहीं मिल पाते हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स घर पर ही ऐसा माहौल बनाएं जिससे स्कूल डेज को बच्चे मिस न करें।’

वहीं कोरोना की तीसरी लहर पर भी डॉ. नंद किशोर ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि तीसरी वेव से डरने की जरूरत नहीं है, अभिभावकों की समझदारी से बच्चे तीसरी लहर से बच सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जरूरी ये है कि सभी बड़ों को टीका लगे, इससे वो वायरस से बचे रहेंगे और बच्चों तक भी इस वैश्विक महामारी का वायरस नहीं पहुंच पाएगा।’

क्लास की ड्यूरेशन कम हो: डॉ. राकेश शर्मा   

वहीं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के डॉ. राकेश शर्मा (सीनियर कंसलटेंट, नेत्र-विशेषज्ञ) के कहना है कि ऑनलाइन क्लास की ड्यूरेशन कम होनी चाहिए। उन्होंने बताया, ‘ज्यादा समय तक स्क्रीन को देखने से बच्चों में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम की समस्या बन जाती है, इससे आंखों में लाली आने लगती है, पानी आने लगता है, सिर में दर्द होने लगता है। इन सब से बचने के लिए जरुरी है कि क्लास का समयांतराल कम होना चाहिए। 20 से 25 मिनट तक स्क्रीन देखने के बाद एक मिनट का ब्रेक लेना जरूरी होता है।’

 

Online Classes: डॉक्टर्स की ये Advice रखें याद, छात्रों-अभिभावकों को मिलेगा फायदा
Dr Rakesh Sharma
Senior Consultant (Ophth.)
Dr SPM Civil Hospital
Lucknow
स्क्रीन और आंखों के बीच में डिस्टेंस जरूरी: डॉक्टर राकेश

डॉ.राकेश का कहना है कि स्क्रीन और आंखों में बीच में दूरी होना अनिवार्य है। इससे आंखों में उठने वाले दर्द और सिर दर्द, दोनों से राहत मिलेगी। साथ ही ब्रेक लेने के वक्त आप 15 सेकंड के लिए अपनी आंखों को बंद कर रिलैक्स में रहें और समय-समय पर ठंडे पानी से आंखों को धुलते रहें। उन्होंने टीचर्स को भी सलाह देते हुए कहा कि उन्हें भी क्लास की ड्यूरेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों के लिए छोटी-छोटी क्लास का आयोजन करें जिससे उन्हें लंबे समय तक स्क्रीन के सामने न बैठना पड़े।

ऑनलाइन क्लास के दौरान चश्मा जरूरी

डॉ. राकेश का कहना है कि जिन बच्चों के चश्मा लगा है वे स्क्रीन पर क्लास के दौरान चश्मा जरूर पहने। इससे उनकी आंखों का स्क्रीन के साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट नहीं होगा और उनकी समस्या नहीं बढ़ेगी। साथ ही उन्होंने अभिभावकों को कई सलाह दी हैं। उन्होंने बताया कि, ‘जिस कमरे में ऑनलाइन क्लास चल रही है उसमें लाईट की प्रॉपर व्यवस्था होनी चाहिए। इससे उनकी आंखों पर स्क्रीन की लाईट का इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा। साथ ही कमरे में प्रॉपर वेंटिलेशन की भी सुविधा हो।’ उन्होंने कहा है कि बच्चों को फल का भी सेवन समय समय पर कराना चाहिए। ख़ास तौर पर ऐसे फ्रूट्स जिनसे आंखों की रौशनी बढ़ती है।

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