सड़क के किनारे मिलने वाला गन्ने का जूस गर्मी में बड़ी राहत पहुंचाता है। चिलचिलाती धूप में एक गिलास गन्ने का जूस पीकर आपकी सारी थकान छूमंतर हो जाती है। ये सब बातें तो ठीक हैं लेकिन अगर आप यह सोचते हैं कि आपकी प्यास बुझाने के अलावा यह फायदेमंद भी है तो ये आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी है।
दरअसल गन्ने का रस और बर्फ दोंनों के प्रभाव एकदम अलग हैं। तो अगर आप बीमार होने से बचना चाहते हैं तो बस आपको थोड़ी सी सावधानी बरतने की जरूरत है। बस आफको करना यह होगा कि इस बात का ध्यान रखें कि गन्ने की सफाई हुई है या नहीं क्यों कि सफाई ना होने से इस पर काली फफूंद जम जाती है। इसकेअलावा आपने ध्यान चेक करना होगा कि जिन हाथों से ऐसा किया जा रहा है वह साफ हैं या नहीं। उन्हीं हाथों से गन्ना पकड़ा जाता है, जनरेटर चलाया जाता है मशीन को घुमाया जाता है। हाथ कभी धोए नहीं जाते। बस यहीं से बीमारी के सारे लक्षण शुरू हो जाते हैं।
वनस्पति विज्ञान एक्सपर्ट डॉ. अवनीश पाण्डेय ने बताया कि गन्ने में अगर लालिमा है तो इसका रस नहीं पीना चाहिए। उसे गन्ने की सड़ांध या रेड रॉट डिजीज कहा जाता है। यह एक तरह का फंगस है, जो गन्ने के रस को लाल कर देता है। इससे जूस की मिठास भी कम हो जाती है। फफूंद से हेपेटाइटिस ए, डायरिया और पेट की बीमारियां होती हैं। इसी प्रकार गन्ने की मिट्टी से भी पेट संबंधी बीमारियां होती हैं। ऐसा गन्ना सस्ता मिलता है और सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।
जनरल फिजिशियन डॉ. मनीष जैन कहते हैं कि अगर गन्ने का रस बनाते समय साफ सफाई का ध्यान न रखा जाए तो ज्वाइंडिस, हेपेटाइटिस, टायफायड, डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अक्सर जहां से आप गन्ने का रस लेते हैं वहां गन्नों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता। रास्तों में खड़ी किसी भी रेहड़ी से गन्ने का जूस न पीयें, इससे संक्रमण होने का खतरा होता है।
पेट में दर्द आदि समस्या भी हो सकती है। गन्ने का जूस पीते वक्त दुकान की साफ सफाई का ध्यान रखें। कहीं दुकान में बहुत ज्यादा मक्खियां हुई तो ऐसी दुकानों से गन्ने का जूस पीने से बचें। गन्ने का रस निकालने के लिए ज्यादातर दुकानें मशीन का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन आपको शायद नहीं पता कि मशीनों को चलाने का एक खास किस्म के तेल का उपयोग होता है। ये तेल यदि पेट में चला जाए तो इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर साफ देखने को मिल सकता है।